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राजामौली की बाहुबली से तो हम सभी वाकिफ हैं. ऐसी फिल्म जिसने इतिहास रच दिया. देश से लेकर विदेशों तक हर तरफ इस फिल्म की चर्चा थी. अभिनेता के अभिनय से लेकर निर्देशक के निर्देशन तक सभी ने खूब तारीफें बटोरी थीं. बिलियन में कमाई करने वाली इस फिल्म के दो भाग हैं पहला 'बाहुबली: द बिगनिंग', और दूसरा 'बाहुबली 2: द कॉन्क्लूज़न' है. राजामौली अब इस फिल्म का एक प्रीक्वल लेकर आ रहे हैं जो कि एक एनिमेटेड सीरीज है. इसका नाम है, 'बाहुबली: क्राउन ऑफ ब्लड'. ये सीरीज डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर प्रसारित हो रही है. बता दें इस सीरीज में बाहुबली की आवाज़ उन्होंने हीं दी हैं जिन्होंने बाहुबली फिल्म में प्रभास के किरदार को हिंदी में आवाज़ दी थी. शरद केलकर ने अपने आवाज़ से हिंदी बेल्ट में बाहुबली को एक अलग पहचान दिलाई और अब एक बार फिर शरद की आवाज़ का जादू डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर छाने वाला है. आइये आपको बताते हैं इस सीरीज के बारे में शरद क्या कहते हैं.
इस एनिमेटेड सीरीज में आवाज़ देने का कैसा अनुभव रहा?
बहुत अच्छा लगा क्योंकि किसी भी कलाकार के लिए एक ऐसा किरदार निभाना जो आइकॉनिक हो और साथ साथ हीं साथ उसके पास इस बात की लिबर्टी हो कि वो उस किरदार अपने अंदाज़ में प्ले कर सके. राजामौली सर के साथ दोबारा काम करने का मौका मिला, ये बहुत हीं एक्साइटिंग रहा. अभी एक नया पैटर्न फॉलो किया जा रहा है जिसके बारे में मैं उनलोगों को बताना चाहता हूँ जिनको इस बारे में नहीं पता है. ये नया पैटर्न कुछ ऐसा है कि पहले राइटर कहानी को लिखते हैं फिर जितने भी वॉइस आर्टिस्ट हैं वो एक्ट करते हैं उसके बाद एनीमेशन क्रिएट किया जाता है. ये एक नया प्रोसेस है जो इंट्रेस्टिंग है लेकिन थोड़ा कठिन भी है क्योंकि हमारे पास कोई विजुअल रेफेरेंस नहीं होता है. हमने पहले भी ये प्रोसेस किया है जब हम ‘द लेजेंड ऑफ़ हनुमान’ कर रहे थे तब वहां भी यही प्रोसेस था. बाहुबली प्ले करना काफी मजेदार था.
जैसा कि सीन में दिख रहा है आपने एक्शन सीन में भी बेहतरीन आवाज़ दी है. इसके बारे में कुछ कहना चाहेंगे?
मै हमेशा कहता हूँ कि डबिंग एक बहुत इम्पोर्टेन्ट फैक्टर है एक्टिंग के लिए. डबिंग आपको आनी चाहिए और ये टैलेंट आपको सीखना चाहिए. जब आप एक कलाकार होते हैं तब आपका हरेक मूवमेंट बहुत जरुरी होता है और डबिंग आपको यही सिखाता है. जब आप किसी चीज के लिए डबिंग करते हैं तब आपको बहुत सारी चीजें सोच कर रखनी पड़ती है और उसी हिसाब से आपको साउंड भी क्रिएट करना होता है. ये रिएक्शन्स बहुत ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होते हैं, लोगों को लगता है कि ये आसान होता है लेकिन ऐसा नहीं है, स्टूडियो में एक माइक के सामने खड़े होकर उस अग्रेशन से चिल्लाना बहुत टफ होता है.
राजामौली के साथ दोबारा काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बहुत हीं एक्साइटिंग था. जब इस एनीमेशन सीरीज की बात हुई एस एस राजामौली और शरद देवराजन के साथ जो इसके क्रिएटर हैं, शरद के साथ मैंने पहले भी काम किया हुआ था, और राजामौली के साथ दोबारा काम करना सोने पर सुहागा हो गया. सभी यादें ताज़ा हो गयीं. ऑडियंस के दिमाग में ये बात चल रही होगी कि इसका प्लाट क्या है क्योंकि जो दोनों फ़िल्में आयीं थीं वो बचपन से लेकर जहाँ फिल्म खत्म हुई वहां तक थी तो फिर इसकी कहानी क्या है. मै बता दूँ ये कहानी उसी के बीच में कहीं है. जब वो बाहुबली बना रहे होने तब बहुत सारे आइडियाज दिमाग में आये होंगे उन्हीं में से एक आईडिया पर इस सीरीज को बनाया गया है. हम इस नए सीरीज को लेकर बहुत हीं एक्साइटेड हैं. उम्मीद है कि लोगों को ये पसंद आएगा.
‘द लेजेंड ऑफ़ हनुमान’ में आपने रावण को आवाज़ दी है, आप एक बेहद वर्सटाइल एक्टर हैं.
एक एक्टर के तौर पर एक प्रोसेस होता है जब आप एक किरदार को समझते हैं. मुझे दो इतने बड़े आइकॉनिक किरदार करने के लिए डिज्नी प्लस हॉटस्टार के साथ. ये दोनों किरदार बेहद समानता में असमानता वाले हैं, जैसे कि वो दोनों फिजिकली बेहद हीं स्ट्रॉन्ग हैं लेकिन इन दोनों का किरदारों का जो स्वभाव है वो एक दुसरे से बेहद अलग है. ये एक बहुत हीं मजेदार अनुभव था जिसमें बहुत कुछ सीखने के लिए मिला. जब आपके पास अच्छे क्रिएटर्स हों तब काम और भी आसान हो जाता है जैसे शरद और जीवन बहुत हीं अच्छा लिखते हैं और हमारे डबिंग डायरेक्टर राजीव जी भी बेहतरीन काम करते हैं. ये हम सभी का एक मिला जुला एफर्ट है, जब वो लोग फिजिकली प्रेजेंट नहीं होते हैं तब वो ज़ूम कॉल पर हमारे काम को देखते हैं. मुझे लगता है जो राइटिंग पार्ट है वो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है, मै हमेशा कहता हूँ कि इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा इज्जत राइटर को मिलनी चाहिए क्योंकि किसी चीज के बारे में सोच कर एक कहानी लिखना बहुत हीं डिफिकल्ट और डिफरेंट आर्ट है. ये बहुत दुःख की बात है कि उनको उतनी वैल्यू नहीं मिलती है जितनी उनको मिलनी चाहिए. जब कहानी अच्छी हो तब एक्टर और डायरेक्टर का काम आसान हो जाता है. स्क्रिप्ट में सबकुछ अच्छे से एक्सप्लेन किया गया था क्योंकि ये एक एनीमेशन है इसलिए हर छोटी से छोटी बात स्क्रिप्ट में लिखी हुई होती है. स्क्रिप्ट इतनी बेहतरीन तरीके से लिखी गयी होती हैं कि एक एक्टर के तौर पर आप आँखें बंद करके सबकुछ विजुअलाईज कर सकते हैं. डिज्नी प्लस हॉटस्टार और शरद ने ये बात ‘लेजेंड ऑफ़ हनुमान’ में साबित कर दी थी ये कितनी उम्दा क्वालिटी का एनीमेशन है, और उसका नया सीजन भी अगले महीने आनेवाला है. आनेवाले सीरीज में हनुमान जी, रावन के भाई कुम्भकरण और उसके बेटे के बीच का एक बहुत हीं अच्छा सीक्वेंस है, आनेवाले इस पुरे सीजन में. ये भी बहुत इंट्रेस्टिंग होने वाला है जिसमें रावण के बहुत सारे शेड्स आपको देखने को मिलेंगे. मेरे लिए रावण का किरदार निभाना एक बहुत हीं मजेदार अनुभव था क्योंकि एक हीं करैक्टर में काफी सारे शेड्स करने को मिल रहे हैं.
आप एक स्टैमर थे वहां से यहाँ तक सफ़र आपने किस तरह से तय किया?
जिंदगी में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें जबतक पीछे से लात नहीं पड़ती है वो कुछ करते नहीं हैं. मुझे जिंदगी के हर मुकाम पर कहीं ना कहीं लात पड़ती है और तब मै सीखता जाता हूँ, और वो इतनी अच्छी लात होती है कि मै बहुत कुछ अच्छा सीख जाता हूँ. जब मै मुंबई आया था और काम ढूंढने की कोशिश कर रहा था तब मुझे पता था कि दिखने में तो मै अच्छा हूँ लेकिन एक्टिंग एक ऐसी फील्ड है जिसमें बिल्कुल कुछ नहीं आता था. और डायलॉग डिलीवरी एक बहुत हीं इम्पोर्टेन्ट पार्ट है एक्टिंग है लेकिन जब आप स्टैमर करते हैं तो फिर कैसे बोलेंगे. कई बार शोज से निकाला गया, कही जगहों पर मजाक बनाया गया और फिर जब ये लाठी पड़ी तो समझ आया कि अगर कुछ करना है तो पहले इसको ठीक करना पड़ेगा. मुझे लगता है हर इन्सान को अपने स्ट्रेंथ और वीकनेस के बारे में पता होना चाहिए और हो सके तो अपनी अच्छी और बुरी क्वालिटी के बारे में एक किताब के बारे में लिख लेना चाहिए और इस बात विचार करना चाहिए कि किस तरह से अच्छी क्वालिटी को और इम्प्रूव करूँ और बुरी क्वालिटी को कम करूँ. हम अपनी लाइफ में इतने बिजी हैं कि हम अपने बारे में हीं सोच नहीं पाते हैं इसलिए अपने आप को थोड़ा वक़्त दें और इस बारे में थोड़ा सोचें क्योंकि ये बहुत आसान काम है अगर आप अपने आप को थोड़ा वक़्त देंगे.
अपने फैंस और चाहनेवाले को क्या कहना चाहेंगे?
जो लोग भी वॉइस ओवर आर्टिस्ट बनना चाहते हैं मै उनसे यही कहना चाहूँगा कि ये फील्ड भी एक्टिंग जितना हीं कठिन है. अगर आप किसी काम में लग्न से लगे रहें तो सफलता मिलती है. मै भी उसी प्रोसेस से निकला हूँ और मेरी आवाज़ को भी रिकग्निशन मिलने में कम से कम 12 से 13 साल लग गए. लग्न से काम करें, हारे नहीं जिंदगी में बस आगे बढ़ते रहें, और सीखते रहे. मुझे लगता है निरंतर अपने एक टारगेट पर काम करते रहना सबसे जरुरी है. मै अभी भी अपने ऊपर काम करता हूँ और ऐसा होता है कि अभी भी मै कई बार स्टैमर कर जाता हूँ, ये एक प्रोसेस है जो चलता रहेगा. आप बस इस बात पर ध्यान दीजिये की आप दिन-ब-दिन कितना इम्प्रूव कर रहे हैं. मै परफेक्शन के बारे में तो नहीं कहता हूँ लेकिन इम्प्रूवमेंट के बारे में जरुर कहता हूँ.
Sharad Kelkar On Collaborating With S.S. Rajamouli
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