हिंदी फिल्मो का जब उदभव हो रहा था तभी से फिल्मो में संगीत को भी काफी महत्व दिया जाता रहा है इसलिए जब भी नायक पर कोई दुःख आता तो उस समय कोई न कोई भजन डालकर भगवान को मनाया जाता था और ईश्वर तो दयालु है मान भी जाते और नायक का दुःख ख़त्म हो जाता था, पहले तो फिल्मे की कहानी भी भगवान की किसी न किसी कथा पर बनती थी और दर्शक नायिका और नायक के साथ दुखी और खुश होते थे और यहाँ तक कि आस्था के कारण फिल्म देखते समय महिलाओ का सिर ढका रहता था। धीरे धीरे समय बदला फिल्मो में भजन ख़त्म होने लगे अब यह आलम है कि पांच या छ साल में कोई फिल्म बनती है जिसमे अच्छा भजन होता है अच्छे से मेरा अभिप्राय है जिसके बोल ह्रदय को छू जाये जैसे फिल्म लगान का भजन ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं ये भजन ऐसा है जिसे लगातार सुना जा सकता है।
श्री राम के जीवन चरित्र पर बनी फिल्मो की बात करे तो सबसे पहली फिल्म 'लंका दहन' भगवान राम पर बनी पहली फिल्म तो मानी जाती है
इसके अलावा यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसमें किसी कलाकार अन्ना सालुंके ने डबल रोल प्ले किया था यानी उन्होंने राम और सीता दोनों की भूमिका अदा की थी. सुपर हिट पुरानी क्लासिक पौराणिक फिल्म संपूर्ण रामायण (1961) जिसमें महिपाल, अनीता गुहा, सुलोचना लाटकर, ललिता पवार ने अभिनय किया फिर 1987 में आई थी कलयुग और रामायण जिस मनोज कुमार ने बनाई थी पीछे दो वर्षो में भगवान राम पर बनी दो फिल्म जिसमे अक्षय कुमार की फिल्म राम सेतु में भी जिसे एक रिसर्च बतौर बनाई गई की क्या सच में रामसेतु था या नहीं और साल 2023 में आई फिल्म आदिपुरुष भी रामायण पर बनी है . इस फिल्म में प्रभास ने भगवान श्री राम का और कृति सैनन ने सीता का किरदार निभाया है, और रामानंद सागर का टीवी सीरियल कौन भूल सकता है जिसमे अरुण गोविल ने राम और दीपिका ने किरदार निभाया था जिसके टीवी पर आते ही लगता था जैसे सड़को पर सन्नाटा पसर जाता था
ज्यादातर फिल्मों में देखा गया है कि कृष्ण भगवान के भजन ज्यादा है बनिस्पत राम के लेकिन जो राम के ऊपर गीत या भजन है वह बहुत बेहतरीन है, जैसे 1968 में फिल्म आयी थी "नीलकमल" इसका गीत था मेरे रोम रोम में बसने वाले राम जिसे लिखा साहिर लुधियानवी ने और गाया आशा भोंसले ने और फिल्मी पर्दे पर फिल्माया वहीदा रहमान पर, इस भजन के बोल तो खूबसूरत थे ही आशा जी ने गाया भी बेहतरीन था और पर्दे पर वहीदा का दुखी व मासूम चेहरा दर्शकों को अंदर तक छू गया हृदय में समा गया और यहां तक की लोग जब भी राम का नाम स्मरण करते तो यह गीत उनके मन मस्तिष्क पर बस आ जाता था। इसी तरह 1970 में आई फिल्म गोपी जिसमें गीत था सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई। मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई जिसे गाया था मोहम्मद रफी ने और इस गीत पर दिलीप कुमार ने अभिनय किया था यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई थी और इसी फिल्म में एक गीत आया था रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौवा मोती खाएगा, यह गीत कलयुग यानी आज को दर्शाता है जैसे कि आजकल हो ही रहा है और इस गीत को गाया था महेंद्र कपूर ने और फिल्माया गया था दिलीप कुमार पर। यह भजन कलयुग का ही नहीं हर युग का है इसलिए इसको कालजयी भजन कहना कहीं भी गलत नहीं होगा।
इसी तरह 1961 में एक फिल्म आई थी घराना, जिसमें एक भजन था जो अभी भी हर जगह हर रामलीला, हर मंदिर में बजता है जय रघुनंदन जय सियाराम हे दुखभंजन तुम्हें प्रणाम यह भजन आशा भोसले ने और मोहम्मद रफी ने गाया, जिसका संगीत दिया था रवि ने और ऐसे ही एक गीत था 1975 में आयी फिल्म लोफर और यह गीत बहुत ही प्रसिद्ध हुआ था दुनिया में तेरा है बड़ा नाम आज मुझे भी तुझसे पड़ गया काम मेरी बिनती सुने तो जानूं मेरी बिनती सुने तो जानूं मानूं तुझे मैं राम यह गीत भी महेंद्र कपूर ने गया था और इसे फिल्माया था एक्टर ओमप्रकाश पर यह गीत सुख और दुख की पीड़ा को दिखाता है साथ ही साथ नाराज होकर धमका भी रहा राम नहीं कर दूंगा तुझे सारे जग में बदनाम इसलिए कहा जाता है की आप माँ और ईश्वर से अपनी बात मनवाने के लिए लड़ भी पड़ते हो तो भी वो बुरा नहीं मानते। ठीक इसी तरह फिल्म सरगम में भी एक गीत था जो जिसमें ऋषि कपूर थोड़े मनमौजी तरीके से गाते हैं राम जी की निकली सवारी रामजी की लीला है प्यारी और यह गीत तब से लेकर आज तक जब भी रामलीला में राम की सवारी निकलती है तभी यह गीत गाया जाता है और फिल्म में इस गीत को गाया था मोहम्मद रफी ने, अभी हाल ही में फिल्म आई आदिपुरुष में राम सिया राम सिया जै जै राम ने लोगो को आकर्षित किया।
इसके साथ ही लता मंगेशकर, नरेंदर चंचल, अनुराधा पौड़वाल, अनूप जलोटा ने भी काफी गैर फिल्मी भजन गाये है जो लोगो के दिलो पर छाप छोड़ चुके है जैसे श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन, पायो जी मैने रामरतन धन पायो, ठुमक चलत राम चंद्र बाजत पैजनिया , रघुपति राघव राजा राम पतित पवन सीताराम, राम से बड़ा राम का नाम जैसे भजन लोगो को याद रह जाते है। अब जबकि 22 जनवरी को अयोध्या नगरी ही नहीं पूरा भारत भगवान श्रीराम के पुनःस्थापना की तैयारी की है यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर का भव्य उद्घाटन हुआ है। यह महत्वपूर्ण अवसर लाखों लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह एक लंबे समय से पोषित सपने की पूर्ति का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान राम को समर्पित राम मंदिर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है, जो विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाएगा आओ हम सब मिलकर श्री राम का स्वागत करें।
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