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पुलित्जर विजेता अमेरिकी नाटककार और उपन्यासकार थॉर्नटन निवेन वाइल्डर ने एक बार कहा था, "मैं थिएटर को सभी कला रूपों में सबसे महान मानता हूं क्योंकि यह सबसे तात्कालिक तरीका है जिसके ज़रिये हम मिलजुल कर इंसान होने का मतलब समझ सकते है." ज़ी थिएटर के पांच असाधारण नाटकों को देखकर आप भी इस इस जादू से परिचित हो सकते हैं. देखिये ये नाटक जो आनंद, हंसी, करुणा और गहन आत्मनिरीक्षण के साथ मानव अस्तित्व की विविध परतों पर प्रकाश डालते हैं .
एक अवलोकन:
ये शादी नहीं हो सकती
शेक्सपियर की एक कॉमेडी (द टैमिंग ऑफ द श्रू) लीजिये , 90 के दशक की हिट फिल्मों का मसाला छिड़किये , रिश्तेदारों की अनबन और पारिवारिक मनमुटाव का तड़का लगाइये, विवाह का एक शानदार मंडप सजाइये और फिर आपको मिलेगा 'ये शादी नहीं हो सकती' नामक मज़ेदार नाटक. इस ज़ी थिएटर नाटिका में काम कर रहे हैं प्राजक्ता कोली, शिखा तल्सानिया, चैतन्य शर्मा, आकाश खुराना, आधार खुराना और गोपाल दत्त. यह टेलीप्ले आकाश खुराना द्वारा निर्देशित है और एक युवा जोड़े लक्ष्मण और प्रिया की कहानी सुनाता है जो तब तक शादी नहीं कर सकते जब तक प्रिया की जिद्दी बड़ी बहन पल्लवी शादी के लिए राज़ी नहीं हो जाती. फिर लक्ष्मण एक योजना बनाता है और पल्लवी के लिए एक उपयुक्त दूल्हा भी ढूंढता है.लेकिन कई जटिलताएँ तब पैदा होती हैं जब लक्ष्मण के पिता को उसकी चाल का पता चल जाता है. क्या पल्लवी को आखिरकार प्यार हो जाएगा और क्या लक्ष्मण और प्रिया शादी कर पाएंगे ? आगे क्या होगा, जानने के लिए देखें, 25 मार्च को टाटा प्ले थिएटर पर ये नाटक.
टाइपकास्ट
'टाइपकास्ट' विजय तेंदुलकर के प्रसिद्ध मराठी नाटक 'पाहिजे जातिचे' का हिंदी रूपांतरण है और इसमें श्रेयस तलपड़े ने महिपत बब्रुवाहन की भूमिका निभाई है, जो एक दलित है. एमए की डिग्री पाने वाला वो अपनी जाति और गांव का सबसे पहला व्यक्ति बनता है. लेकिन उसकी जाती उसके करियर के आड़े आती है और उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है. फिर एक प्रोफेसर के रूप में वो दूसरे संस्थान में शामिल हो जाता है. पर यहाँ भी, उसे भेदभाव का सामना करना पड़ता है और व्यावसायिक चुनौतियों के साथ साथ प्रेम से जुड़ी समस्याओं से भी जूझना पड़ता है. सौरभ श्रीवास्तव द्वारा फिल्माए गए इस टेलीप्ले में अतुल माथुर, अदिति पोहनकर और उत्कर्ष मजूमदार भी हैं. इस विचारोत्तेजक सामाजिक नाटक को आप 25 मार्च को एयरटेल स्पॉटलाइट, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर ज़रूर देखें.
षड़यंत्र
एक संदिग्ध मौत, एक हत्या, एक सताई हुई पत्नी और कई संदिग्ध लोग . संक्षेप में यही है गणेश यादव के रोमांचक सस्पेंस थ्रिलर 'षड़यंत्र ' की सनसनीखेज कहानी . मुख्य भूमिकाओं में हैं हिना खान, चंदन रॉय सान्याल, कुणाल रॉय कपूर और श्रुति बापना. कहानी एक असफल विवाह के इर्द-गिर्द बुनी गई है जो पति पत्नी को एक अपराध की ओर ले जाती है. पत्नी नताशा मल्होत्रा तिवारी को विरासत में मिली है एक निर्माण कंपनी. उसे व्यवसाय संभालने में कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन हालात उसे एक भयावह वास्तविकता का सामना करने के लिए मजबूर करते हैं. जब एक चौंकाने वाली हत्या उसके जीवन को हमेशा के लिए बदल देती है , तो जांच अधिकारी मोहन खन्ना रहस्य को सुलझाने और उसकी मदद करने के लिए आता है. 28 मार्च को टाटा प्ले थिएटर में सितारों से सजे इस टेलीप्ले में देखें कि आगे क्या होता है.
गुनेहगार
आकर्ष खुराना निर्देशित यह एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है जो अपराध, बेगुनाही और प्रतिशोध के इर्द गिर्द घूमता है. नाटक तब शुरू होता है जब बंसल नामक एक रहस्यमय व्यक्ति एक खोजी पत्रकार मृणालिनी को स्कूप देने के बहाने अपने घर पर आमंत्रित करता है.मृणालिनी धीरे धीरे बंसल के व्यवहार के अजीब पहलुओं को नोटिस करना शुरू कर देती है और उसे एहसास होता है कि इस निमंत्रण के पीछे की सच्चाई कुछ और है. फिर अचानक वहां एक और मेहमान आता है जो एक पुलिसकर्मी है और फिर बंसल की एक खतरनाक योजना से पर्दा धीरे-धीरे हटने लगता है. एक पुराना दुखद रहस्य उजागर हो जाता है और दोनों मेहमान अतीत में की गई एक गलती के लिए खुद को कटघरे में खड़ा पाते हैं. गजराज राव, श्वेता बसु प्रसाद और सुमीत व्यास अभिनीत, इस मनोरंजक टेलीप्ले को 28 मार्च को एयरटेल स्पॉटलाइट, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर देखा जा सकता है.
चंदा है तू
प्रसिद्ध मराठी नाटककार जयवंत दलवी द्वारा लिखित और दिवंगत निशिकांत कामत द्वारा फिल्माया गया यह नाटक माता-पिता के जीवन की खुशियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है. कहानी एक ऐसे जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने शारीरिक रूप से अक्षम बेटे की जरूरतों से परेशान हैं. उनके पास ऐसी नौकरियाँ हैं जहाँ उनकी उपस्थिति ज़रूरी है और साथ ही उन्हें अपने बेटे को भी प्राथमिकता देनी पड़ती है . शुक्ला दम्पति कैसे अपनी विभिन्न जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करते हैं और क्या उनका मानसिक संतुलन प्रभावित होता है? क्या अपने बेटे बच्चू के प्रति उनका प्यार इतना शक्तिशाली है कि वे हर मुश्किल को पार कर पाते हैं ? मंच के लिए नाटक का निर्देशन अतुल परचुरे ने किया है और इसमें स्मिता बंसल, मानव गोहिल, संजय बत्रा, प्रसाद बर्वे और खुद अतुल ने भी अभिनय किया है. 31 मार्च को टाटा प्ले थिएटर पर यह मार्मिक नाटक देखें.
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