Advertisment

सूखे गुलाब सी महकती ‘नटी’

नटी विनोदिनी या कहें कि विनोदिनी दासी-19वीं सदी के बंगाल में इस वेश्या अभिनेत्री ने न केवल समाज की तय की हुई रूढ़ियों को तोड़ा बल्कि अपने खुद के अंधेरे अतीत की छाया से बाहर आने का भी सफल प्रयास किया...

New Update
सूखे गुलाब सी महकती ‘नटी’
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नटी विनोदिनी या कहें कि विनोदिनी दासी-19वीं सदी के बंगाल में इस वेश्या अभिनेत्री ने न केवल समाज की तय की हुई रूढ़ियों को तोड़ा बल्कि अपने खुद के अंधेरे अतीत की छाया से बाहर आने का भी सफल प्रयास किया। उस दौर में जब रंगमंच पर पुरुष अभिनेता महिला चरित्रों को भी निभाते थे, विनोदिनी ने न केवल महिला पात्रों का अभिनय किया अपितु पुरुष चरित्र भी निभाए। 12 वर्ष की आयु से अभिनय की शुरुआत करने वाली विनोदिनी तब मात्र 23 वर्ष की थी जब एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई भेंट के बाद विनोदिनी दासी का स्वयं से साक्षात्कार हो गया और वह अध्यात्म की राह पर चल पड़ी।

k

इस नटी से अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी का भी पुराना नाता रहा। एक तो सुष्मिता खुद बंगाल से आती हैं, दूसरे किशोरावस्था में उन्हें एक निर्देशक ने इस नाटक में लेने के बाद यह कह कर निकाल दिया था कि तुम इस रोल के लिए छोटी दिखती हो। शायद वही फांस सुष्मिता के मन में कहीं रह गई और बरसों बाद जब वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक होकर निकलीं तो उन्होंने इस कहानी को आधुनिक संदर्भ देते हुए ‘नटी’ नामक पटकथा लिख डाली जिसे राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ने पुरस्कृत भी किया। फिर उन्होंने इसे आधार बना कर एक नाटक की रचना की जिसे मुंबई के पृथ्वी थिएटर समेत अनेक जगहों पर मंचित भी किया गया। मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गए उस नाटक का अभिनेत्री सुरेखा सीकरी ने हिन्दी में अनुवाद किया था। अब दशकों बाद सुष्मिता अपने उसी नाटक ‘नटी’ को पुस्तक रूप में लेकर आई हैं।

.

मूल कहानी की विनोदिनी इस कथा में मुंबई शहर में रहने वाली अभिनेत्री मणि मेखला है जिसे उसके अपनों ने, उसकी किस्मत ने समय-समय पर दगा दिया और आखिर एक दिन उसने अध्यात्म की राह चुन ली। सुष्मिता ने इस कहानी को फ्लैश बैक वाले सिनेमाई अंदाज में लिखा है जिससे कहानी और इसके किरदारों की परतें धीरे-धीरे खुलती हैं। यही कारण है कि इसे पढ़ते समय रोचकता बनी रहती है और ऐसा भी महसूस होता है जैसे हम सचमुच किताब के पन्ने नहीं पलट रहे बल्कि सामने मंच पर एक के बाद एक घटते दृश्यों से रूबरू हो रहे हैं। दिल्ली के प्रभात प्रकाशन से आई इस किताब की अनुशंसा में वरिष्ठ रंगकर्मी पद्मश्री रामगोपाल बजाज लिखते हैं कि ‘नटी’ को स्टेज पर ले जाना किसी भी निर्देशक के लिए एक अभिनव अनुभव होगा।

,

नाटक के मान्य सिद्धांतों के अनुसार सुष्मिता इस कहानी को चार एक्ट में प्रस्तुत करती हैं जिनसे कहानी का विस्तार सहज ही समझ आता है। स्वर्गीय सुरेखा सीकरी का ही प्रयास रहा होगा कि इसे पढ़ते समय यह महसूस नहीं होता कि हम कोई अनूदित कृति पढ़ रहे हैं। संपादक दीपक दुआ ने भी नाटक की पटकथा को पुस्तक रूप देने में जो भूमिका निभाई है, वह भी इसमें सहज ही झलकती है। जहां आम पाठकों को यह कहानी आनंदित करेगी वहीं रंगमंच से जुड़े लोगों को इसे मंचित करने के प्रयास करने चाहिएं। 

Read More:

श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की फिल्म Stree 2 को मिला U/A सर्टिफिकेट

दिल्ली में Kusha Kapila के साथ हुई थी बदसलूकी, एक्ट्रेस का छलका दर्द

जॉन अब्राहम ने आदित्य चोपड़ा को लेकर किया खुलासा,कहा-'शाहरुख के अलावा'

आमिर खान ने इस वजह से किया लापता लेडीज का समर्थन,कहा-'मेरे पास 15 साल'

Advertisment
Latest Stories