देखिये ऐसे शो और टेलीप्ले जो अद्वितीय महिला पात्रों को उजागर करते हैं

आज के दौर में महिलाओं के अनुभवों की गहराई, विस्तार और विविधता को उजागर करने वाली कहानियां प्रचलित हो गयी हैं और रूढ़िवादी, कथानकों का युग समाप्त हो रहा है. अब छोटे पर्दे पर ऐसी कहानियों को देखा जा सकता है

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On International Womens Day these clutter breaking shows and teleplays highlight unique female protagonists
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आज के दौर में महिलाओं के अनुभवों की गहराई, विस्तार और विविधता को उजागर करने वाली कहानियां प्रचलित हो गयी हैं और रूढ़िवादी, कथानकों का युग समाप्त हो रहा है. अब छोटे पर्दे पर ऐसी कहानियों को देखा जा सकता है जो शक्तिशाली महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, आईये उन महिला पात्रों को देखें जो गलतियाँ करने से नहीं डरती हैं और पूरे हौसले के साथ अपने जीवन की यात्रा तय करती हैं. 'अग्निपंख', 'गुड़िया की शादी', 'ओके टाटा बाय बाय', 'आर्या' और 'मसाबा मसाबा' महिलाओं के बहुमुखी जीवन और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को खूबसूरती से दर्शाती हैं. 

एक अवलोकन :

अग्निपंख

International Women's Day
 
नाटककार प्रभाकर लक्ष्मण मयेकर द्वारा लिखित और पहली बार 1980 के दशक में प्रदर्शित, ज़ी थिएटर के इस टेलीप्ले का नाम एक ग्रीक पौराणिक पक्षी फ़ीनिक्स से प्रेरित है. फ़ीनिक्स की ही तरह है कुलमाता दुर्गेश्वरी या 'बाईसाब' जो भारत की आज़ादी के बाद पचास के दशक में सामंती व्यवस्था के अंत का सामना करते हुए अपना साम्राज्य और परिवार बचाने की कोशिश कर रही है. जब वो अपने परिवार और अपनी 'ज़मींदारी' या सामंती संपत्ति को सँभालने की कोशिश कर रही होती है तब उसे सामाजिक परिवर्तन की अशांत हवाओं से भी लड़ना पड़ता है. साथ ही उसे अपनी प्रेमहीन शादी, अपने विद्रोही बच्चों और देश में तेजी से विकसित हो रही सामाजिक गतिशीलता का सामना भी करना पड़ता है. जानी-मानी अभिनेत्री मीता वशिष्ठ द्वारा अभिनीत बाईसाब जब वास्तविकता का सामना करती है तब क्या होता है , देखिये गणेश यादव द्वारा निर्देशित इस ऐतिहासिक टेलीप्ले में जिसमे दिनकर गावंडे, गुल्की जोशी, प्रभात शर्मा, सत्यजीत दुबे, शीतल सिंह और सोमेश अग्रवाल भी हैं.
इसे 8 मार्च को टाटा प्ले थिएटर पर देखें.

गुड़िया की शादी

International Women's Day
 
लेखिका, निर्देशिका और अभिनेत्री समता सागर द्वारा लिखित ज़ी थिएटर का यह टेलीप्ले शादी से जुड़े सामाजिक दबाव, अवास्तविक सौंदर्य मानकों और नायिका गुड़िया जैसी युवा महिलाओं के हालात की पड़ताल करता है. गुड़िया को न केवल उसकी त्वचा के रंग के आधार पर आंका जाता है, बल्कि उस समय उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है, जब वह अपनी शादी की पूर्व संध्या पर गलती से अपनी भौंहें मुंडवा लेती है. गुड़िया मुस्कुराते हुए और अटूट आत्मविश्वास के साथ अपने आत्म-मूल्य को बरकरार रखने के लिए रंगवाद, कठोर आलोचना और नकारात्मकता से निपटती है. देखिए क्या होता है जब उसके दूल्हे मुद्दू और उसके परिवार द्वारा शादी रोक दी जाती है . क्या गुड़िया उनके फैसले को स्वीकार करती है या वह इस धारणा को बदल देती है कि एक लड़की की योग्यता उसकी सुंदरता से परिभाषित होती है? इस तेज-तर्रार कॉमेडी को सौरभ श्रीवास्तव द्वारा फिल्माया गया है, मंच के लिए समता सागर द्वारा निर्देशित किया गया है, और इसमें श्वेता बसु प्रसाद, वीरेंद्र सक्सेना, खुद समता सागर, इश्तियाक खान, सरोज शर्मा, नेहा सराफ, विक्रम कोचर और अन्वेषी जैन ने अभिनय किया है.
'गुड़िया की शादी' को 9 मार्च को टाटा प्ले थिएटर पर प्रसारित किया जाएगा.

ओके टाटा बाय बाय

International Women's Day
 
लेखिका, निर्देशिका और अभिनेत्री पूर्वा नरेश के इस विचारोत्तेजक ज़ी थिएटर टेलीप्ले में नैतिकता, गरिमा और स्वतंत्रता की धारणाओं को एक नए नज़रिये से छाना गया है . जब फिल्म निर्माता पूजा और मिच एक यौनकर्मी के जीवन का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक गांव में पहुंचते हैं, तो उनके दृष्टिकोण, व्यक्तिगत मूल्यों और रिश्ते में उथल-पुथल मच जाती है. पूजा और एक यौनकर्मी के बीच का टकराव महिला शक्ति के अर्थ से जुड़ी पाखंडी धारणाओं पर से पर्दा उठा देता है.जीवन बदल देने वाले कई खुलासे होते हैं जो पूजा को अपने पूर्वाग्रहों की अधिक बारीकी से जांच करने के लिए मजबूर करते हैं. मंच के लिए पूर्वा नरेश द्वारा लिखित और निर्देशित इस टेलीप्ले को ईशान त्रिवेदी द्वारा फिल्माया गया है. इसमें गीतिका त्यागी, जिम सर्भ, प्रेरणा चावला और सारिका सिंह हैं. एयरटेल स्पॉटलाइट, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर 'ओके टाटा बाय बाय' देखें.

आर्या 

International Women's Day
 
डच ड्रामा सीरीज़ 'पेनोज़ा' पर आधारित, 'आर्या' दर्शकों को एक अनोखी एक महिला नायिका प्रदान करती है. जब उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है तो वह इस त्रासदी से त्रस्त होकर एक योद्धा बन जाती है. वह अपने बच्चों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक चली जाती है और अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए न केवल अपने परिवार के सदस्यों पर हमला करती है, बल्कि एक विशाल आपराधिक साम्राज्य की करता धर्ता भी बन जाती है. श्रृंखला ने सुष्मिता सेन को एक ऐसी कलाकार के रूप में स्थापित किया, जो एक जटिल चरित्र को निभा सकती है और जिसने ओटीटी क्षेत्र में महिलाओं के लिए नई जमीन तैयार की है . तीन सीज़न तक, शो ने दर्शकों को बांधे रखा, क्योंकि मुख्य भूमिका में सेन ने सम्मोहक अभिनय किया. राम माधवानी और संदीप मोदी द्वारा सह-निर्मित, 'आर्या' को डिज्नी+हॉटस्टार पर देखा जा सकता है. इसमें सोहेला कपूर, चंद्रचूड़ सिंह, गीतांजलि कुलकर्णी, सिकंदर खेर, विकास कुमार और विश्वजीत प्रधान भी शामिल हैं.

मसाबा मसाबा

International Women's Day
 
सुनने में आया है कि मसाबा गुप्ता की मनमोहक इंस्टाग्राम छवि के मुताबिक सुपरहिट नेटफ्लिक्स श्रृंखला 'मसाबा मसाबा' को रचा गया और यहीं से एक अभिनेत्री के रूप में उनकी शुरुआत हुई. श्रृंखला न केवल उनके निजी जीवन और उनकी मां नीना गुप्ता के साथ उनके रिश्ते को एक मनोरंजक तरीके से दर्शाती है बल्कि उनकी कलात्मक और व्यावसायिक यात्रा को भी दिखाती है. शो के दो सीज़न इसलिए ख़ास हैं क्योंकि कहानी में नायिका के व्यक्तित्व के विकास पर प्रकाश डाला गया है. कहानी एक महिला निर्देशक द्वारा एक महिला के नजरिए से कही गई है और दर्शकों को भी एक नए अंदाज़ से दुनिया देखने पर मजबूर करती है. यह छोटे पर्दे की पारंपरिक नायिकाओं से बहुत अलग है, जो पितृसत्तात्मक नियमों से प्रतिबंधित हैं. सोनम नायर द्वारा निर्देशित इस शो में नील भूपालम, सत्यदीप मिश्रा और सुचित्रा पिल्लई भी हैं और यह नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है.

Tags : International Womens Day 

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