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Jab Jab Phool Khile 1965 film: शशि कपूर की पहली सोलो हिट ‘जब जब फूल खिले’ — 1965 की यादगार सुपरहिट फिल्म

फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ वर्ष 1965 में रिलीज़ हुई थी और यह शशि कपूर की पहली सोलो हिट फिल्म साबित हुई। नंदा के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया।

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Jab Jab Phool Khile 1965 film
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उत्तरी अफ्रीका के मोरक्को/माराकेश में आज भी जब कोई भारतीय जाता है, और खुद को अभिनेता शशिकपूर के देश भारत का वासी बताता है, तो वहां के दुकानदार उसे हर चीज के दाम में स्पेशल डिस्काउंट दे देता है। जी हां! माराकेश के बाज़ारों में, आज भी, कुछ बुज़ुर्ग दुकानदार आपको भारत (शशि कपूर की धरती) से आने पर छूट दे देते हैं। यह आज से साठ वर्ष पहले 5 नवंबर 1965 को रिलीज रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ की वजह से है। मजेदार बात यह है कि शशि कपूर और नंदा के अभिनय से सजी सूरज प्रकाश निर्देशित और बृज कत्याल लिखित फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में उस वक्त जबरदस्त हिट हुई थी और उत्तरी अफ्रीका में स्टार बन जाने वाले शशिकपूर पहले भारतीय अभिनेता थे। बताया जाता है कि कई वर्षों तक उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में हर वर्ष एक सप्ताह के लिए फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ का प्रदर्शन होता रहा था। यह फिल्म अल्जीरिया के सिनेमाघरों में दो साल तक हर दो दिन में दिखाई जाती रही; इसकी जनता में काफी मांग थी। यह फिल्म एक गरीब लड़के की कहानी है जो जम्मू और कश्मीर में नाविक है और एक अमीर पर्यटक से प्यार करने लगता है। (Shashi Kapoor first solo hit film)

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Bollywood Movie Fashion: Shashi Kapoor In Jab Jab Phool Khile (1965)

उत्तरी अफ्रीका में शशि कपूर की दीवानगी: ‘जब जब फूल खिले’ ने रचा इतिहास

आज से लगभग सत्तर वर्ष पहले बृज कत्याल ने फिल्म ‘‘जब जब फूल खिले’’ की कहानी लिखी थी। उस वक्त वह इस कहानी पर फिल्म बने इसके लिए एक-दो नहीं तीन-तीन निर्माताओं से मिले थे, जिनमें फिल्म ‘शोले’ का बाद में निर्माण करने वाले निर्माता जी पी सिप्पी भी थे। पर तीनों निर्माताओं को बृज कत्याल की यह कहानी पसंद नहीं आई थी। अंततः एक दिन निर्देशक सूरज प्रकाश ने बृज कत्याल की इस कहानी पर फिल्म बनाने के लिए हामी भरी थी। यह उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म बनी और उनकी पहली रंगीन फिल्म थी। जबकि कोई बड़ा कलाकार इस फिल्म के साथ जुड़ने के लिए तैयार न था। तब अभिनेत्री नंदा के साथ अभिनेता शशिकपूर को जोड़ा गया था, जिनका करियर उन दिनों बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था। उनकी कई फिल्में लगातार असफल हो चुकी थीं। गीतकार के रूप में आनंद बख्शी, संगीतकार कल्याणजी आनंदजी को लिया गया। फिल्म के गीतों को मो. रफी और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी। फिल्म को कश्मीर की खूबसूरत वादियों में फिल्माया गया।

Jab Jab Phool Khile (1965) - IMDb

Jab Jab Phool Khile

अभिनेता शशिकपूर ने अपनी तरफ से इस फिल्म में बेहतर अभिनय करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। शशि कपूर ने इस फिल्म में कश्मीर की झीलों में नाव/शिकारा चलाने वाले गरीब युवक का किरदार निभाया है, इसलिए शशिकपूर ने कुछ दिन शिकारा चलाने वालों के साथ पूरा एक माह बिताया था, जिससे वह शिकारा चलाने वालों की रोजमर्रा की जिंदगी से वाकिफ हो सकें। कभी-कभी, वह उनके साथ भोजन भी करते थे। (Jab Jab Phool Khile 1965 movie facts)

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1965 में यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ‘ब्लॉकबस्टर’ साबित हुई और बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार 1965 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म थी। शशि कपूर के लिए, जब जब फूल खिले उनकी पहली सोलो-हीरो हिट फिल्म थी। यश चोपड़ा की धर्मपुत्र (1961) और बिमल रॉय की प्रेम पत्र (1962) जैसी शुरुआती निराशाओं के बाद, इसने उनके करियर को लगभग पूरी तरह से ठंडा कर दिया।

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Jab Jab Phool Khile (1965) | Incap

फिल्म पूरी हो जाने के बाद जिस दिन फिल्म का प्रीमियर था, उस दिन निर्देशक सूरज प्रकाश और अभिनेता शशि कपूर ने एक शर्त लगाई। सूरज प्रकाश ने कहा कि फिल्म 25 हफ्ते चलेगी और शशि कपूर ने कहा आठ हफ्ते। जो भी सही साबित होगा, उसे दूसरे को बर्लिंगटन में सिला हुआ एक सूट भेंट किया जाएगा। प्रकाश ने शर्त जीत ली और कपूर को सूट भेंट कर दिया; हालांकि, दोनों ही गलत साबित हुए, क्योंकि फिल्म 50 हफ्ते चली और अपनी स्वर्ण जयंती मनाई। फिल्म के स्वर्ण जयंती समारोह में, सूरज प्रकाश ने बृज कत्याल से पूछा कि राज किस धर्म से थे, क्योंकि यह कभी स्पष्ट नहीं किया गया था और अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया था। पता चला कि श्रीनगर में सभी नाविक मुसलमान थे। लेखक अवाक रह गया, क्योंकि इसे एक हिंदू-मुस्लिम प्रेम कहानी के रूप में चित्रित किया जा सकता था। प्रकाश का दावा है कि यही उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म के निर्माण का असली चरमोत्कर्ष है।

Suraj Prakash - IMDb

DDLJ (1995), Jab Jab Phool Khile (1965) and Billy Wilder Did You Know Facts  by Bobby Sing at bobbytalkscinema.com

फिल्म ‘‘जब जब फूल खिले’’ में नंदा के प्रेमी की भूमिका जतिन खन्ना ने निभाई थी। अभिनेता राजेश खन्ना को बाद में इस अभिनेता के साथ भ्रम से बचने के लिए अपना नाम बदलना पड़ा।

‘‘जब जब फूल खिले’’ को अभूतपूर्व सफलता मिलने के बाद इस फिल्म से जुड़े निर्देशक सूरज प्रकाश, लेखक बृज कत्याल, अभिनेता शशि कपूर, गीतकार आनंद बख्शी, संगीतकार कल्याणजी आनंदजी के साथ ही गायक लता मंगेशकर व मो. रफी एक साथ आए और 1970 में एक अन्य फिल्म ‘‘स्वीटहार्ट’’ बनाई, जिसमें आशा पारेख सह-कलाकार थीं। अफसोस यह फिल्म आज तक रिलीज ही नहीं हो पाई। जबकि इसके गाने रिलीज हुए थे और गाने सफल भी हुए थे।

Jab Jab Phool Khile - Wikipedia

फिल्म का क्लाइमेक्स, जहां राजा रीटा को ट्रेन में खींचता है, बॉम्बे सेंट्रल स्टेशन पर फिल्माया गया था। सूरज प्रकाश ने नंदा को ट्रेन में कैसे और कब चढ़ाना है, इस बारे में स्पष्ट निर्देश दिए थे। कपूर ने इन निर्देशों का इतनी अच्छी तरह पालन किया कि जब उन्होंने नंदा को ट्रेन में चढ़ाया, तब प्लेटफॉर्म खत्म होने में बस कुछ ही फीट बाकी थे। प्रकाश का दावा है कि यह घटना इतनी भयावह थी कि उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं, यह मानकर कि नंदा का अंत आ गया है। चित्तजीत मोहन धर (पूर्व सांसद, उद्योगपति, वैज्ञानिक और सीडीएसआई निदेशक, मनोजीत मोहन धर के चचेरे भाई) की जीप इस फिल्म में दिखाई गई थी और उन्होंने इसके निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Jab Jab Phool Khile (1965) - IMDb

बृज कत्याल ने जो पटकथा लिखी थी, उसमें क्लाइमेक्स में राजा की बुरे लोग मिलकर पिटाई करते हैं, जिसे सूरज प्रकाश ने 1957 में रिलीज फिल्म ‘‘लव इन द आफ्टरनून’’ देखने के बाद बदल दिया और तब रीटा सब कुछ छोड़कर राजा के साथ कश्मीर वापस जाने का फैसला करती है। इस क्लाइमेक्स से प्रेरित होकर बाद में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ हो या ‘राजा हिंदुस्तानी’ हो, इन फिल्मों का क्लाइमेक्स रचा गया। (Shashi Kapoor popularity in North Africa)

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Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995) - IMDb

रीटा (नंदा) का किरदार हाउसबोट में राजा (शशि कपूर) को देवनागरी वर्णमाला सिखाते समय लोलिता पढ़ते हुए देखा जाता है।

फिल्म के निर्देशक सूरज प्रकाश ने फिल्म में कलाकारों के चयन को लेकर भी प्रयोग किया है। तभी तो सौम्य छवि के अभिनेता शशि कपूर को एक बेढंगे और मासूम शिकारा वाले के किरदार के लिए चुना तथा नंदा अपनी रोती-बिलखती छोटी बहन वाली छवि से पूरी तरह मुक्त होकर, इस अनुभव का आनंद लेती हुई दिखाई देती हैं। रीटा घमंडी है। इतना ही नहीं फिल्मकार ने वर्गभेद को भी चित्रित किया है। रीटा को भी अपने वर्ग-भेद का एहसास तो है। लेकिन राजा की साफ-सुथरी मासूमियत, उसकी रूमानियत और शाश्वत प्रेम कहानियों में उसके विश्वास ने उसे प्रभावित किया है। धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से, रीटा खुद को राजा के स्वाभाविक आकर्षण की ओर आकर्षित पाती है। फिल्म में भावनात्मक उतार चढ़ाव की कोई कमी नहीं है। फिल्म में दो अलग-अलग व्यक्तित्वों के बीच अटूट आकर्षण को निर्देशक ने खूबसूरती से उकेरा है।

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Jab Jab Phool Khile (1965) - News - IMDb

नंदा उन चंद स्थापित अभिनेत्रियों में से एक थीं जिन्होंने शशि कपूर के साथ उनके बड़े नाम बनने से पहले नियमित रूप से काम किया था। ‘जब जब फूल खिले’ से नंदा व शशि कपूर की एक ऐसी लोकप्रिय जोड़ी बनी, जो बाद में आठ फिल्मों में नजर आई।

नंदा ने कहा था कि उन्होंने कश्मीर को हर मौसम में देखा है। उन्हें अपनी शूटिंग के लिए अक्सर वहां जाना और ओबेरॉय होटल में ठहरना याद है। (Indian films in Morocco and Algeria)

फिल्म ‘‘जब जब फूल खिले’’ की कहानीः

दो घंटे 21 मिनट की अवधि वाली इस फिल्म की कहानी रीटा खन्ना और राजा के इर्द गिर्द घूमती है। राज बहादुर चुन्नीलाल (कमल कपूर) की इकलौती बेटी और उत्तराधिकारी, रीटा खन्ना (नंदा) अपनी नौकरानी स्टेला (शम्मी) के साथ छुट्टियां बिताने जम्मू और कश्मीर जाती है। वहां वह एक हाउसबोट किराए पर लेती है और उस हाउसबोट के मालिक राजा (शशि कपूर) से दोस्ती कर लेती है। राजा एक मासूम और रोमांटिक गांव का लड़का था, जो अपनी छोटी बहन मुन्नी (बेबी मुन्नी) के साथ रहता था। कुछ गलतफहमियों के बाद, उनकी दोस्ती हो जाती है और राजा को रीटा से प्यार हो जाता है। वापस जाने से पहले, रीटा राजा से वादा करती है कि वह अगले साल वापस आएगी।

Jab Jab Phool Khile | Movie 1965

Kamal Kapoor - IMDb

Shammi (actress) - Wikipedia

घर पर, रीटा के पिता चाहते हैं कि उसकी शादी किशोर से हो, लेकिन रीटा अपना फैसला टालती रहती है। वह अगले साल वादे के मुताबिक कश्मीर जाती है, लेकिन किशोर (जतिन खन्ना) उसके साथ आ जाता है, जिससे राजा को परेशानी होती है। आखिरकार राजा अपने प्यार का इज़हार करता है और उससे शादी करने के लिए कहता है। वह किशोर की बजाय राजा को चुनती है और उसे अपने पिता के पास ले आती है।

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राज बहादुर नहीं चाहता कि उसकी बेटी राजा से शादी करे और उसे समझाने की कोशिश करता है, लेकिन नाकाम रहता है। आखिरकार, वह अपनी बेटी को बताता है कि राजा बिल्कुल अलग पृष्ठभूमि का है और उनके तौर-तरीकों के साथ तालमेल नहीं बिठा सकता। रीटा राजा से अपना रूप और आदतें बदलने के लिए कहती है और राजा मान जाता है। मेकओवर के बाद, राज बहादुर, राजा को सबसे मिलवाने के लिए एक पार्टी रखता है। वहां, राजा रीटा को दूसरे मर्दों के साथ नाचते हुए नहीं देख पाता। इससे उनके बीच झगड़ा होता है और राजा यह कहते हुए उसके घर से चला जाता है कि वह उसकी संस्कृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है।

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रीटा को बुरा लगता है कि राजा सिर्फ एक छोटी सी लड़ाई की वजह से चला गया। फिर वह अपने पिता को यह कहते हुए सुनती है कि उसने उन्हें अलग करने की पूरी योजना बनाई थी और वह बहुत पहले से जानता था कि राजा, रीटा को दूसरे मर्दों के साथ नाचते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकता। रीटा को एहसास होता है कि उसने बेवजह राजा से झगड़ा किया था और वह उसके साथ कश्मीर जाने का फैसला करती है। वह रेलवे स्टेशन जाती है और राजा से उसे अपने साथ ले जाने की गुज़ारिश करती है। फिल्म का अंत राजा द्वारा रीटा को चलती ट्रेन में खींच लेने और दोनों के खुशी-खुशी गले मिलने से होता है।

फिल्म के गीत ‘‘एक था गुल और एक थी बुलबुल’’, ‘मैं जो चली हिंदुस्तान से’, ‘ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे.’, ‘परदेसियों से ना अंखियां मिलाना’, काफी हिट हुए। (Jab Jab Phool Khile romantic drama story)

जो लोग सिनेमा को एक विचित्र मनोरंजन के माध्यम के रूप में भी देखते हैं, उनके लिए ‘जब जब फूल खिले’ में एक खास आकर्षण है जो आसानी से दूसरी फिल्मों में नहीं मिलता। या परदे पर उतारना आसान नहीं है। यही बात इसे ज़रूर देखने लायक बनाती है। रिलीज़ के 60 साल बाद भी यह फिल्म ताज़ा लगती है। और इस ताज़गी में कोई धुंआधारपन नहीं है।साठ साल पहले (5 नवंबर 1965) को रिलीज फिल्म, जो पचास हफ्ते चली थीः शशि कपूर की पहली सोलो हीरो हिट फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ ने उन्हें उत्तरी अफ्रीका में बनाया था स्टार

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FAQ

Q1: फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ कब रिलीज़ हुई थी?

A1: यह फिल्म 5 नवंबर 1965 को रिलीज़ हुई थी और उस समय बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी।

Q2: ‘जब जब फूल खिले’ में मुख्य कलाकार कौन थे?

A2: इस फिल्म में शशि कपूर और नंदा मुख्य भूमिकाओं में थे। दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने बेहद पसंद किया।

Q3: फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ का निर्देशन किसने किया था?

A3: इस फिल्म का निर्देशन सूरज प्रकाश ने किया था और कहानी बृज कत्याल ने लिखी थी।

Q4: यह फिल्म उत्तरी अफ्रीका में इतनी लोकप्रिय क्यों हुई?

A4: फिल्म की प्रेम कहानी, संगीत और शशि कपूर के आकर्षक व्यक्तित्व ने उत्तरी अफ्रीका के दर्शकों को खूब प्रभावित किया। वहाँ यह फिल्म कई सालों तक सिनेमाघरों में दिखाई जाती रही।

Q5: शशि कपूर को उत्तरी अफ्रीका में किस तरह की प्रसिद्धि मिली?

A5: ‘जब जब फूल खिले’ के बाद शशि कपूर उत्तरी अफ्रीका के देशों—विशेषकर मोरक्को और अल्जीरिया—में बेहद लोकप्रिय हो गए। आज भी वहाँ के बुज़ुर्ग उन्हें भारतीय स्टार के रूप में याद करते हैं।

 

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