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सईद कादरी ने कहा- ‘मिलेनियर्स आफ लव मेरे लिए अपनी मिट्टी के कर्ज...’

एंटरटेनमेंट : कवि व गीतकार सईद कादरी ने 2003 में बाॅलीवुड में कदम रखा था. और उन्हे उनके कैरियर की दूसरी फिल्म ‘‘मर्डर’’के गीत ‘‘ भीगे होंठ तेरे..’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ‘आइफा अवार्ड’ मिल गया था.

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Saeed Qadri

एंटरटेनमेंट : जोधपुर,राजस्थान में जन्में मषहूर कवि व गीतकार सईद कादरी ने 2003 में बाॅलीवुड में कदम रखा था. और उन्हे उनके कैरियर की दूसरी फिल्म ‘‘मर्डर’’के गीत ‘‘ भीगे होंठ तेरे..’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ‘आइफा अवार्ड’ मिल गया था. इसी फिल्म के लिए उन्हे स्टारडस्ट अर्वाड से भी नवाजा गया था. तब से वह लगातार फिल्मों में गीत लिखते आ रहे हैं. इन दिनों वह पहली इंडो हाॅलीवुड फिल्म ‘‘मिलेनियर्स आफ लव’’के गीत लिखने को लेकर सूर्खियों में हैं.

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बतौर गीतकार बाॅलीवुड में आपका लंबा कैरियर हो गया. इतने वर्षों में जो बदलाव आया, उसे किस तरह से देखते है. अब जिस तरह के गीत फिल्मों में नजर आ रहे हैं,उन्हे लिखते हुए आप खुद को कितना सहज पाते हैं?

-मुझे लगता है कि आज के दौर में भी कई लेखक व गीतकार काफी बेहतरीन काम कर रहे हैं. मैं नही समझता कि भाषा की मिठास खत्म हो रही है. मेरे अलावा इरषाद कामिल सहित कई गीतकार अच्छा काम कर रहे हैं. जावेद अख्तर हों या गुलजार इन्होने पहले भी कमाल का काम किया है और आज भी कर रहे हैं. मेरे कहने का अर्थ यह कि काफी बदलाव आ गया है, मगर नाउम्मीदी वाली कोई बात नही है. मैं आषा करता हॅूं कि आप जिस सुनहरे दौर  की बात कर रहे हैं,वह दौर वापस जरुर आएगा.

इन दिनों हर हिंदी फिल्म में पंजाबी गाना पिरोने का चलन क्यांे हो गया है?

-ऐसा इसलिए नही है कि हिंदी में अच्छे गाने नही बन रहे. पंजाबी भाषा अपने आप में एक अच्छी व मिठास वाली भाषा है. सिर्फ पंजाबी ही क्यों हमारे देष की हर क्षेत्रीय भाषा का अपना एक रंग है. हम सभी अपनी निजी जिंदगियों में भी उन सभी रंगों को पसंद करते हैं. इसलिए मुझे हिंदी फिल्मों में पंजाबी गीत समाहित किए जाने पर ऐसा नहीं लगता कि ऐसा क्यों हो रहा है. मेरे जेहन में पंजाबी गीतों को लेकर कोई सवाल नही उठता. सच कहॅंू तो मुझे कई पंजाबी गीत काफी पसंद है. यदि मुझे मौका मिला तो मैं खुद  किसी फिल्म में पंजाबी गीत लिखने की कोषिष करुॅंगा.

आपको संगीत बहुत अच्छी समझ है. अभी ग्रेमी अवार्ड विजेता संगीतकार रिक्की केज ने बताा कि आपने इंडो हाॅलीवुड फिल्म ‘‘मिलेनियर्स आफ लव’’ में गीत लिखने के साथ ही एक गीत का संगीत निर्देषन भी किया है. पर आपने अब तक बाॅलीवुड में किसी फिल्म के लिए संगीत नही दिया?

-देखिए, वह तो रिक्की केज ने हॅंसी हंॅसी में मुझसे वह काम करवा लिया. सच तो यह है कि संगीत निर्देषन करने के लिए मेरे पास वक्त ही नही है. मैं लेखन में ही बहुत ज्यादा मषगूल रहता हॅूं. मुझे लेखन के काम से ही फुरसत नही मिलती. कभी फुरसत मिली तो संगीत भी दिया जाएगा.

आपने कई मषहूर गीत लिखे.पर किस गीत को लिखने में आपको सबसे ज्यादा समय देना पडा़,पर वह गीत लोकप्रिय न हुआ हो?

-मेरे उपर खुदा का बहुत बड़ा करम है कि मेरे हर गीत को लोगो ने पसंद किया. अब तक मेरा कोई भी गाना असफल नही हुआ. हाॅ! मुझे  अनुराग बसु निर्देषित फिल्म ‘‘मर्डर’ के गीत ‘‘भीगे होंठ तेरे..’ लिखने में काफी समय लगा था. इस गीत को लिखने,गीत के लिए ख्याल आने मे छह सात दिन लग गए थे. तो वहीं कई गीत तो मैंने सिर्फ पंद्रह मिनट में लिखे हैं. कोई गीत एक दिन तो कोई गीत दो दिन लेता है.

इंडो हॉलीवुड  फिल्म ‘‘मिलेनियर्स आफ लव’’ के गीतों को लिखने के लिए आपको किन बातों को समझना पड़ा. आप खुद राजस्थान से है,इसलिए सहूलियत हुई होगी?

-जी हाॅ! मैं जोधपुर,राजस्थान का रहने वाला हॅंू. वही पला बढ़ा हॅूं. मेरी षिक्षा भी वहीं पर हुई. मेरी परवरिष राजस्थान मे ही हुई. इस वजह से मैं राजस्थान को, वहां के कल्चर व संगीत को बहुत करीब से जानता हॅूं. मैं उसी प्यासी जमीन से आया हूँ इसलिए मेरे दिल मे एक हूक है जहां मैं अपनी मिट्टी की बात कह सकता हूँ. इसलिए इस फिल्म के गीत लिखना मेरे लिए काफी आसान रहा. यह फिल्म राजस्थान की पृष्ठभूमि की है. जब मुझे इस फिल्म के लिए गीत लिखने का मौका मिला,तो मेरे जेहन व स्मृति में जो कुछ था,उसे मैंने गीतों के माध्यम से पेष करने का प्रयास किया है. यह फिल्म मेरे लिए अपनी मिट्टी के कर्ज को चुकाने का जरिया है.

जब से संगीत ‘की बोर्ड’ से बनने लगा है.इसका संगीत पर क्या असर हो रहा है और फोक संगीत कहां जाएगा?

-देखिए,फोक संगीत हमेषा जिंदा रहेगा.लोक गीत,लोक संगीत व लोक संस्कृति का विनाष कभी नही होता. लोक कथाएं हमेषा जिंदा रहेंगी. लोक संगीत को सुनकर ही तो सारी चीजें आती है. वहीं से तो मेरे अंदर  संगीत व गीत लिखने की समझ विकसित हुई है. यह तो षाष्वत है. लेकिन आप भी जानते व समझते हैं कि वक्त के साथ चीजें बदलती है. आज हालात बदल रहे हैं. वक्त के साथ नई नई चीजें ईजाद हो रही ैं. बदलाव की बयार के ही चलते ‘की बोर्ड’ आया है. नई चीजों का आना कोई बुरी बात नही है. पर पुरानी चीजें अपनी जगह पर रहें.  ‘की बोर्ड’ की अपनी जगह है. पर इंसान वही संगीत सुनता है,जो उसके कानों को अच्छा लगता है.

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