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देव आनंद के फैंस की कमी नहीं है। पर क्या आप सभी को पता है कि देव आनंद और उनके दोनों छोटे भाइयों विजय आनंद व चेतन आनंद ने एक साथ किसी फिल्म में अभिनय किया था...?? सोचिए..सोचिए..याद कीजिए.. जी हां! तीनों आनंद भाइयों ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान केवल एक फिल्म में एक साथ अभिनय किया था..इस फिल्म का नाम है- काला बाजार, जो कि 12 फरवरी 1960 को रिलीज हुई थी। विजय आनंद लिखित व निर्देशित क्लासिक फिल्म ‘‘काला बाजार’’ में देव आनंद और वहीदा रहमान की रोमांटिक जोड़ी थी। नरगिस का कैमियो था और आनंद भाइयों की यह एकमात्र फिल्म है, जिसमें देव आनंद, विजय आनंद और चेतन आनंद तीनों भाइयों ने अभिनय किया था। (Kala Bazar 1960 movie)
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फिल्म ‘काला बाजार’ का निर्माण नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले देव आनंद ने किया था। देव आनंद के छोटे भाई विजय आनंद ने इस फिल्म का लेखन व निर्देशन किया था। इस फिल्म में देव आनंद, वहीदा रहमान, विजय आनंद, चेतन आनंद, नंदा, मदन पुरी, लीला चिटनिस, मुमताज़ बेगम और हेलन ने अभिनय किया। एस. डी. बर्मन ने संगीत तैयार किया, जबकि गीत शैलेंद्र द्वारा लिखे गए थे। यह पहली फिल्म थी, जिसमें एस डी बर्मन और शैलेंद्र एक साथ आए थे। फिल्म में देव आनंद का किरदार रघुवीर, वहीदा रहमान के किरदार अलका सिन्हा से प्यार करता है, जबकि अलका सिन्हा, विजय आनंद के किरदार नंद कुमार चट्टोपाध्याय से सगाई करती है। अब रघुवीर, अलका और नंदकुमार के बीच क्या क्या होता है, तथा इन तीनों के बीच में चेतन आनंद के किरदार व वकील देसाई क्या करते हैं? यह सब जानने के लिए तो 65 साल पुरानी इस फिल्म देखना होगा। यह फिल्म यूट्यूब पर मौजूद है।
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मदर इंडिया के प्रीमियर के वास्तविक फुटेज का उपयोग
फिल्म ‘काला बाजार’ मूलतः सिनेमा टिकटों की काला बाजारी और नैतिक सुधार जैसे गंभीर विषय को भी सूक्ष्मता से प्रस्तुत करती है। कहानी के अनुसार देव आनंद का किरदार रघुवीर सिनेमा की टिकटों की काला बाजारी करता है। यानी कि रघुवीर फिल्म की टिकट को ब्लैक में बेचता है। नब्बे के दशक तक फिल्में कई सप्ताह तक चलती थीं और दर्शक ब्लैक में टिकटें खरीदा करता था। इसलिए इस फिल्म में मुंबई के लिबर्टी सिनेमा में 1957 में रिलीज हुई महबूब ख़ान की प्रतिष्ठित फिल्म ‘मदर इंडिया’ के सितारों से सजे प्रीमियर के वास्तविक फुटेज को बेहद खूबसूरती और कुशलता से फिल्म में शामिल किया गया है। फिल्म में देव आनंद के किरदार को इस प्रीमियर के टिकट काला बाजार में बेचते हुए दिखाया गया है, और उस दौर के कई शीर्ष सितारे, जिनमें दिलीप कुमार, नरगिस, गुरु दत्त, किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, राजेंद्र कुमार और सोहराब मोदी शामिल हैं, रेड कार्पेट पर आते हुए दिखाई देते हैं। यह भारतीय सिनेमा में तथ्य और कल्पना का एक अग्रणी एकीकरण था। ऐसा फिर किसी फिल्म में नहीं हुआ। यह विजय आनंद की दिमागी उपज का ही परिणाम था। (Dev Anand Vijay Anand Chetan Anand film)
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प्रगतिशील विषय और परिपक्व पटकथाः
‘‘काला बाजार’’ विजय आनंद के निर्देशन में बनी दूसरी फिल्म थी। जिसे रिश्तों और नैतिकता पर अपने परिपक्व और प्रगतिशील दृष्टिकोण के कारण उस वक्त अपने समय से आगे की फिल्म की संज्ञा दी गई थी। फिल्म की नायिका अलका सिन्हा (वहीदा रहमान) को दो बार प्यार में पड़ते और शुरुआत में नायक को सम्मानपूर्वक अस्वीकार करते हुए दिखाया गया है, बिना किसी भारी नाटकीयता या ज़बरदस्ती, बलिदान भरे अंत के। (Dev Anand romantic movies)
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‘काला बाजार’ सिर्फ मनोरंजक फिल्म नहीं है, बल्कि यह फिल्म सशक्त सामाजिक संदेश देने में भी सफल हुई थी। इस फिल्म ने ईमानदारी, अपराध की ज़िंदगी की निरर्थकता और सही रास्ता चुनने के महत्व के बारे में एक सशक्त सामाजिक संदेश दिया, जो दर्शकों के दिलों में उतर गया।
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फिल्म ‘काला बाजार’ के सभी सात गाने सफल हुए थे। जिनमें से मोहम्मद रफी द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘‘खोया खोया चाँद खुला आसमाँ..’’, मो रफी और गीता दत्त द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘रिमझिम के तराने लेके आई बरसात’ तथा भक्ति गीत ‘ना मैं धन चाहूँ’ तो लोग आज भी गुनगुनाते हुए मिल जाते हैं। (S.D. Burman Shailendra songs Kala Bazar)
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