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आत्मा की यात्रा, Ramanand Sagar जी के दर्शन और ब्रह्मांड के लोक...

वो दिन मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन रहा जब महान फ़िल्म  निर्माता निर्देशक, लेखक, डॉक्टर रामानंद सागर जी से अंधेरी के नटराज स्टूडियो स्थित उनके विशाल कार्यालय में मुझे उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था...

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Ramanand Sagar
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वो दिन मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन रहा जब महान फ़िल्म निर्माता निर्देशक, लेखक, डॉक्टर रामानंद सागर जी से अंधेरी के नटराज स्टूडियो स्थित उनके विशाल कार्यालय में मुझे उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. वह स्मृति आज भी मेरे मन में ताज़ा है, मानो कल ही की बात हो. उनका कार्यालय एक शांत सुनहरी रोशनी से सराबोर था, दीवारें कई तरह के मॉडर्न तथा पौराणिक आर्ट के सुंदर चित्रों से सजी थीं. उस शांति में भी मानो हवा में सुनाई देने वाली कहानियों की गूंज थी. बॉलीवुड के स्वर्ण युग को रेखांकित करती उनकी सुपरहिट फिल्में, घूँघट, बाजूबंद, जिंदगी, आरज़ू, आँखे, गीत, ललकार, जलते बदन, चरस, प्रेम बंधन, बग़ावत, और टेलिविजन जगत को रेखांकित करती उनके द्वारा निर्मित निर्देशित महाकाव्य 'रामायण' जिसे हर भारतीय घर तक पहुँचाने वाले रामानंद सागर किसी आधुनिक युग के सन्यासी की तरह दिख रहे थे. उनकी आँखें करुणा और ज्ञान से चमक रही थीं.

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हमारी बातचीत साधारण अभिवादन से शुरू हुई, लेकिन जल्द ही यह एक गहरी और सार्थक बातचीत के आदान-प्रदान में बदल गई. मैंने उनसे पूछा, 'सागर जी, हमारी प्राचीन कहानियों में ऐसा क्या है जो उन्हें इतना कालातीत बनाता है? आज भी लोग उनमें सुकून और प्रेरणा क्यों पाते हैं?' उन्होंने धीरे से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, 'हम अपने आस-पास जो दुनिया देखते हैं, वह एक बहुत बड़ी कहानी का एक छोटा सा हिस्सा है. हमारे भीतर एक ब्रह्मांड है, और हमसे परे भी एक ब्रह्मांड है. असली यात्रा उस संबंध को समझने की है. जान लो, कहानियाँ किसी भी सभ्यता की आत्मा होती हैं. वे हमारे सपनों, हमारे डर, हमारी आशाओं और हमारी सच्चाइयों को समेटे हुए होती हैं. हर युग में, लोग अर्थ की तलाश करते हैं, अपने से बड़ी किसी चीज़ की. हमारे मिथक और किंवदंतियाँ उन्हें यही अर्थ देती हैं.''

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वह एक पल के लिए खामोश हो गए, फिर कुछ सोचते हुए आगे बोले, ''बचपन में मेरे बुजुर्ग मुझे देवताओं और राक्षसों, वीर राजाओं और बुद्धिमान ऋषियों की कहानियाँ सुनाया करते थे. वे कहानियाँ मेरे साथ रहीं, मेरी सोच को आकार दिया और मुझे ब्रह्मांड के बारे में एक अद्भुत अनुभूति दी. इसीलिए, जब मैंने 'रामायण' बनाई, तो मैं वही अद्भुतता सबके सामने लाना चाहता था.''

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मैंने उनसे इन कहानियों के पीछे छिपे गहरे दर्शन के बारे में पूछा. 'क्या आप मानते हैं कि इन कहानियों और ब्रह्मांड के बीच कोई वास्तविक संबंध है?' उनका चेहरा उत्साह से चमक रहा था. 'बिल्कुल,' उन्होंने कहा. 'हमारे धर्मग्रंथ केवल कहानियाँ नहीं हैं. वे आत्मा के मानचित्र हैं, जीवन और हमारे आसपास की दुनिया को समझने के मार्गदर्शक हैं." उन्होंने कुछ रुककर कहा, "हमारी हिंदू पौराणिक कथाओं में, ब्रह्मांड केवल वही नहीं है जो हम देखते हैं. यह कई परतों वाला एक विशाल, अंतहीन महासागर है.उदाहरण के लिए, हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान कई 'लोकों' की बात करता है. ये सिर्फ़ भौतिक स्थान नहीं हैं, बल्कि अस्तित्व की अवस्थाएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने-अपने पाठ और महत्व हैं.''

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मैं मंत्रमुग्ध थी. "क्या आप मुझे इन लोकों के बारे में और बता सकते हैं?' मैंने उनके विशाल ज्ञान से सीखने की उत्सुकता से पूछा.

उनकी आवाज़ धीमी होती गई, मानो वे कोई रहस्य साझा कर रहे हों. ''प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्मांड में चौदह मुख्य लोक हैं. सात उच्च लोक हैं और सात निम्न लोक. प्रत्येक लोक अद्वितीय है, जिसके अपने निवासी और उद्देश्य हैं.''

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उन्होंने समझाने के अंदाज से कहना शुरू किया, उनके शब्द मेरे मन में विशद चित्र बना रहे थे. "ग्रंथों के अनुसार सबसे ऊपर 'सत्य-लोक' है, जिसे 'ब्रह्म-लोक' भी कहा जाता है. यह शुद्ध सत्य का लोक है, जहाँ सृष्टिकर्ता ब्रह्मा निवास करते हैं. यहाँ आत्माएँ जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होती हैं. फिर 'तप-लोक' आता है, जो गहन ध्यान का स्थान है, जहाँ ऋषिगण घोर तपस्या करते हैं. 'जन-लोक' ब्रह्मा के पुत्रों का निवास है, जो बुद्धिमान प्राणी हैं और ब्रह्मांडीय व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करते हैं. 'महार-लोक' वह है जहाँ महान ऋषि, या मुनि, सद्भाव से रहते हैं और अपनी बुद्धि से ब्रह्मांड का मार्गदर्शन करते हैं.''

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उन्होंने आगे कहा, ''फिर हमारे पास 'स्वर्ग' है, इंद्र द्वारा शासित स्वर्ग, जो संगीत, नृत्य और आनंद से भरपूर है. 'भुवर-लोक' पृथ्वी और सूर्य के बीच का स्थान है, जहाँ दिव्य प्राणी और ऊर्जाएँ विचरण करती हैं. और अंत में, 'भूर-लोक' हमारा अपना लोक, पृथ्वी है, जहाँ हम अपने कर्मों के माध्यम से रहते हैं, सीखते हैं और विकसित होते हैं.''

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मैं अवाक् होकर सुनती रही जब उन्होंने सात निचले लोकों का भी वर्णन किया. "हमारे नीचे 'अटल', 'वितल', 'सुतल' आदि लोक हैं. ये भौतिक सुखों, मोह और अंधकार के स्थान हैं. लेकिन वहाँ भी एक उद्देश्य है. प्रत्येक लोक हमें इच्छा, आसक्ति और अच्छाई-बुराई के बीच संघर्ष के बारे में कुछ न कुछ सिखाता है."

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मैंने उनसे पूछा, "कौन सा लोक सबसे दिव्य, सबसे शुभ है?" सागर जी मुस्कुराए, उनकी आँखें आंतरिक प्रकाश से चमक रही थीं. "इन सबसे परे 'वैकुंठ' है, भगवान नारायण का दिव्य निवास. यह भौतिक ब्रह्मांड का हिस्सा नहीं है. यह शाश्वत शांति और आनंद का स्थान है, जहाँ आत्मा ईश्वर से एकाकार होती है. वैकुंठ पहुँचना प्रत्येक साधक का अंतिम लक्ष्य होता है."

उनके चेहरे पर विचारमग्न भाव आ गए. "लेकिन सत्य यह है कि प्रत्येक लोक महत्वपूर्ण है. ये सभी आत्मा की यात्रा के चरण हैं." सृष्टि की भव्य रचना में निम्नतम लोकों की भी अपनी भूमिका है. हमारा कार्य सीखना है , विकसित होना है और ईश्वर के निकट जाना है.''

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जैसे-जैसे हमारी बातचीत समाप्त होने को आई मुझे रामानंद सागर जैसे आधुनिक महऋषि के ज्ञान सागर के प्रति कृतज्ञता का अनुभव हुआ. रामानंद सागर जी ने मुझे केवल लोकों की व्याख्या ही नहीं दी बल्कि उन्होंने आश्चर्य, उम्मीद और अर्थ से भरे ब्रह्मांड की एक खिड़की खोल दी थी. उनके शब्दों ने मुझे याद दिलाया कि हमारे पवित्र ग्रंथों, हमारे पूर्वजों की कहानियाँ केवल अतीत की कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए जीवंत मार्गदर्शक हैं. यही तो कई आध्यात्मिक परंपराएँ हमें बताती हैं—कि क्षणिक संसारों से परे, जन्म-मृत्यु के चक्रों से परे, शाश्वत शांति का एक क्षेत्र है.

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उनकी आँखों में एक शांति थी, एक ख़ास तरह की शांति जो आपको ऐसा एहसास कराती थी कि आप किसी ऐसे व्यक्ति से बात कर रहे हैं जो भौतिक दुनिया से परे जीवन के रहस्यों को समझता है. यह एक ऐसा पल था जिसे मैं आज भी संजोकर रखती हूँ, क्योंकि उन चंद घंटों में, मुझे एहसास हुआ कि मैं उन व्यक्ति के सान्निध्य में हूँ जिन्होने अस्तित्व की विशालता की झलक पा ली है.

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आज भी, जब मैं किसी बच्चे को विस्मित आँखों से 'रामायण' देखते हुए पाती हूँ, या किसी वृद्ध महिला को अपने पोते-पोतियों को कहानियाँ सुनाते हुए सुनती हूँ, तो मुझे सागर जी के कार्यालय में बिताई वह दोपहर याद आती है. मुझे उनकी मधुर वाणी, उनकी दिव्यता और पौराणिक कथाओं की शक्ति में उनका अटूट विश्वास याद आता है.

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यह एक ऐसी दुनिया है जो अक्सर विभाजित और अनिश्चित लगती है, हिंदू पौराणिक कथाओं के लो, हमें सुनाते हैं कि जीवन कई लोकों, दृश्य और अदृश्य, से होकर गुजरने वाली एक यात्रा है. और कहीं, इस दुनिया के सभी संघर्षों और खुशियों से परे, वैकुंठ है - वह शाश्वत घर, जहाँ हर आत्मा को शांति मिलती है.

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यह लिखते हुए, मुझे एहसास हुआ कि चाहे प्राचीन पौराणिक कथाओं के लोक हों या आज की वास्तविक जीवन की यात्राएँ, हर कहानी में दिलों को छूने, जीवन बदलने और आगे का रास्ता रोशन करने की शक्ति है. और शायद यही सबसे बड़ा जादू है.

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