/mayapuri/media/media_files/2025/11/03/the-taj-story-movie-paresh-rawal-zakir-hussain-tushar-amrish-goyal-2025-11-03-13-23-23.jpg)
फ़िल्म 'द ताज स्टोरी' (The Taj Story) रिलीज़ से पहले ही सुर्खियों में है — वजह है इसका पोस्टर और उससे जुड़ा विवाद. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि यह फ़िल्म धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की कोशिश है. लेकिन फ़िल्म के कलाकार और निर्माता इसका अलग ही दृष्टिकोण पेश करते हैं. फिल्म का निर्देशन और लेखन तुषार अमरीश गोयल (Tushar Amrish Goel) ने किया है जिसमें परेश रावल (Paresh Rawal) ने विष्णु दास और ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ने खलनायक की भूमिका निभाई है. हाल ही में ‘मायापुरी पत्रकार’ शिल्पा नालमवार ने फिल्म के दोनों अभिनेताओं और निर्देशक से मुलाक़ात की. आइये जानते हैं सभी ने फिल्म के बारे में क्या कुछ कहा....
/mayapuri/media/post_attachments/wikipedia/en/a/a1/The_Taj_Story-797168.jpg)
फ़िल्म का पोस्टर काफी विवादों में रहा. लोग कह रहे हैं कि यह किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहा है. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
तुषार अमरीश- पोस्टर को विवादास्पद कहा जा रहा है, लेकिन इसे एक फ्यूजन रूप में तैयार किया गया है. इसमें इंडो-सारासेनिक आर्किटेक्चर दिखाया गया है, जो एक ऐतिहासिक थ्योरी है. एक अन्य थ्योरी के अनुसार वहाँ पहले ‘मंदिर’ हुआ करता था. हमने उस बहस को दिखाया है, न कि कोई निष्कर्ष निकाला है. शिवाजी का मकबरे से निकलना विवाद नहीं है — हमने उन्हें मस्जिद से नहीं निकाला. यह बहस 60-70 साल पुरानी है और हम उसे फिल्म के माध्यम से दिखा रहे हैं इसलिए मैं बस यही कहूँगा कि पहले फ़िल्म देखें, फिर राय बनाएं. (The Taj Story movie cast and crew)
/mayapuri/media/post_attachments/fcad680b-cb1.png)
अक्सर कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है, लेकिन जब समाज की कुछ सच्चाइयाँ फ़िल्म में दिखाई जाती हैं तो विरोध होता है. ऐसा क्यों?
परेश रावल- यह केवल समाज की सच्चाई नहीं, बल्कि इतिहास की सच्चाई है. हमारी फ़िल्म किसी धर्म का विरोध नहीं करती. बस हम यह पूछ रहे हैं कि इतिहास को किसने कैसे पढ़ा, और क्या उसमें कुछ छूट गया. जिन्होंने इतिहास को गलत तरह से पेश किया, हम उन्हें सवालों के घेरे में ला रहे हैं.
/mayapuri/media/post_attachments/sites/visualstory/wp/2025/04/PARESH-RAWAL-10ITG-1745826022474-602016.jpg?size=*:900)
इस विषय पर फ़िल्म बनाने का विचार आपको कैसे आया?
तुषार अमरीश- असल में यह विचार हमारे निर्माता सी.ए. सुरेश झा जी (CA Suresh Jha) का था. उन्होंने कहा कि ‘ताजमहल’ पर बहुत विवाद हैं, इस पर शोध करो. मैंने सालों तक रिसर्च किया — कई दृष्टिकोण सामने आए. उसी शोध के आधार पर कहानी लिखी गई और परेश जी को सुनाई गई. उन्होंने स्क्रिप्ट और सभी रिसर्च सामग्री को गहराई से देखा और कहा कि ऐसे विषयों पर फ़िल्में बननी चाहिए. (Paresh Rawal and Zakir Hussain The Taj Story)
/mayapuri/media/post_attachments/profile_images/1602885708058087424/ZWrFKR7x_400x400-129032.jpg)
आपको फ़िल्म की स्क्रिप्ट और बहस कितनी मज़बूत लगी?
ज़ाकिर हुसैन- फ़िल्म की मज़बूती उसकी कोर्टरूम बहस में है. यह एक कोर्टरूम ड्रामा है, जहाँ पूरी कहानी बहस तक पहुँचती है. बहस बेहद सशक्त और स्वस्थ है. मेरे लिए यह अनुभव बेहतरीन था और मैं तो इसलिए जुड़ा क्योंकि मुझे परेश जी के साथ काम करने का मौका मिल रहा था.
/mayapuri/media/post_attachments/2016/07/zakir-hussain-759-582641.jpg?w=414)
The Taj Story: Paresh Rawal ने विवादों के बीच किया ‘द ताज स्टोरी’ का बचाव
ट्रेलर में शिक्षा व्यवस्था और इतिहास को ‘मुगल परिप्रेक्ष्य’ से दिखाने की बात कही गई है. क्या यह फिल्म उसी को चुनौती देती है?
परेश रावल- हाँ, फिल्म यह दिखाती है कि इतिहास को किस तरह प्रस्तुत किया गया और उससे हमारी आत्मा और आत्मसम्मान पर क्या असर पड़ा. इसमें यह भी बताया गया है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार हैं. हमने किसी धर्म या व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया, बल्कि इतिहास की सही तस्वीर दिखाने की कोशिश की है. (Tushar Amrish Goyal director interview)
/mayapuri/media/post_attachments/957ddace-247.png)
आपका इस फिल्म से जुड़ने और सभी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
ज़ाकिर हुसैन- मेरा बहुत ही सुखद अनुभव रहा. मैं तो रोज़ सेट पर मिठाई बाँटता था और सबको खुश रहने की बात कहता था. सेट का माहौल बहुत सकारात्मक था. कोई विवादित चीज़ शूटिंग के दौरान नहीं रही.
/mayapuri/media/post_attachments/3a0c2efe-23e.png)
फ़िल्म में ‘सनातन धर्म’ का भी ज़िक्र आता है. इस पर कुछ बताइए.
परेश रावल- फ़िल्म में ‘सनातन’ को किसी धार्मिक परिप्रेक्ष्य में नहीं, बल्कि विचार के रूप में दिखाया गया है. जैसा मेरा डायलॉग है – “सनातन भारत के खून में है. यह कोई धर्म नहीं, एक सोच है.” यह सोच उदार है, जो सबका स्वागत करती है, और यही हमारी भारतीयता की पहचान है.
/mayapuri/media/post_attachments/ibnlive/uploads/2025/08/The-Taj-Story-Paresh-Rawal-2025-08-baf8743b740ad0f706d4fa989ca45bab-533570.jpg)
ज़ाकिर हुसैन- मैं एक मुस्लिम हूँ, लेकिन जब मंच पर जाता हूँ तो सबसे पहले मंच को छूता हूँ हूँ. मेरा धर्म ऐसा नहीं कहता, पर मेरा थिएटर धर्म कहता है. यही अंतर समझना ज़रूरी है — आस्था और कर्म के बीच. अगर किसी को सच्चे मन से विश्वास है, तो वह कहीं भी ईश्वर को महसूस कर सकता है. (The Taj Story movie concept and vision)
क्या दर्शकों को फ़िल्म से ‘ताजमहल’ से जुड़ी पुरानी बहसों पर स्पष्टता मिलेगी?
परेश रावल- बिल्कुल, 22 दरवाज़ों से लेकर स्थापत्य कला और शिल्प की तमाम बातें फ़िल्म में उठाई गई हैं. कई ऐसी ‘अनकही बातें’ हैं जो अब तक लोगों के सामने नहीं आईं, और यह फ़िल्म उन्हें उजागर करेगी. (Bollywood historical drama 2025)
/mayapuri/media/post_attachments/ibnlive/uploads/2025/09/BeFunky-collage_______-2025-09-a3bcbc11056380a7486f399de415c7ed-16x9-468797.jpg?impolicy=website&width=400&height=225)
Hera Pheri 3: Paresh rawal की वापसी से हैरान हुए Priyadarshan, कहा- "ऐसा नहीं....."
अपने दर्शकों से आप क्या कहना चाहेंगे?
परेश, ज़ाकिर और तुषार अमरीश जी- हम बस यही कहना चाहेंगे पहले फ़िल्म देखें, फिर अपनी राय बनाएं. 'द ताज स्टोरी' (The Taj Story) 31 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है. इसे देखें और अपना प्यार दें.
Follow Us
/mayapuri/media/media_files/2025/10/31/cover-2665-2025-10-31-20-07-58.png)