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माधुरी,सनी देओल, जयाप्रदा को BJP ने नहीं दिया टिकट, जानिए क्यों ?

अब जब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है , ज्यादा से ज्यादा सभी चुनावी पार्टियों ने लोकसभा 2024 इलेक्शन के लिए अपने प्रत्यासियों के नामों की घोषणा कर दिया है.

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Madhuri Dixit Sunny Deol
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 ताजा खबर : अब जब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है , ज्यादा से ज्यादा सभी चुनावी पार्टियों ने लोकसभा 2024 इलेक्शन के लिए अपने प्रत्यासियों के नामों की घोषणा कर दिया है. याद आते हैं कुछ फिल्मी सितारे जिनके लिए कहा जाता रहा कि वे देश की प्रमुख सत्ता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं. अब यह बात करीब करीब साफ हो गयी है कि चुनाव मैदान से उनका पत्ता कट गया है, वे गच्चा कहा गए हैं. आइए देखें, चुनाव मैदान से उनके दूर जाने की वजह क्या बनी है-

माधुरी दीक्षित :

बीजेपी की चुनावी चर्चा में संभावित प्रत्यासियों की सूची में शायद कंगना रनौत से मजबूत स्थिति में माधुरी दीक्षित का नाम रहा. सब मानकर चल रहे थे कि माधुरी का चुनाव में उतरना यानी- श्योर शॉट विजय ! वर्ड कप क्रिकेट मैच के समय नवम्बर में माधुरी दीक्षित और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत दादा पवार के बीच मीटिंग आदि बातों ने साफ संकेत दिया था कि माधुरी दीक्षित बीजेपी समर्थित एनसीपी के टिकट पर या सीधे बीजेपी के साथ जुड़कर चुनाव जरूर लड़ेंगी. लेकिन, अब साफ होगया है कि ऐसा नहीं हो रहा है. मुम्बई उत्तर पश्चिम सीट से माधुरी को खड़ा कराए जाने की चर्चा थी जहां से कभी फिल्म स्टार सुनील दत्त कांग्रेस पार्टी की सीट से चुनाव लड़ा करते थे.. टिकट बंटवारे में वह सीट बीजेपी-शिवसेना  (शिंदे)-एनसीपी में से किसके कोटे में रहेगी, इस बात ने खेल बिगाड़ दिया. क्योंकि यहां से विरोध में सामने शिवसेना (उद्धव गुट) का कंडिडेट है. दबी चर्चा है कि माधुरी दीक्षित के सामने शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की नजदीकियों की वजह से भी धर्म संकट खड़ा हो गया था. माधुरी दीक्षित का बाला साहेब ठाकरे के मातुश्री घर से पारिवारिक रिश्ता रहा है.

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 एनसीपी का एक घटक शिवसेना (शिंदे) की तरफ चले जाने से माधुरी दीक्षित को निर्णय लेना मुश्किल हो गया कि किसके साथ जाएं.वह उद्धव शिव सेना छोड़कर शिंदे शिवसेना में जाने में संकोच कर रही थी. लिहाजा उन्होंने यही कहना बेहतर समझा कि वे 'राजनीति के लिए नहीं बनी हैं, वह सिर्फ कलाकार ही रहना चाहती हैं.'

सनी देओल:

गुरुदासपुर (पंजाब) के सिटिंग सांसद सनी देओल के लिए छह महीने पहले ही उनकी कांस्टीट्यूएन्सी में उनके लापता होने के पोस्टर लगे थे. यानी- वहां की जनता से वह कम ही संपर्क में थे. 'गदर 2' की कामयाबी के बाद जब चारों तरफ सनी देओल की चर्चा चल रही थी, सनी ने साफ तौर पर कह दिया था कि वह फिल्मों में अपनी गति विधि बढ़ाएंगे क्योंकि उनका मन यहीं लगता है. सनी अपने कार्यकाल में एक फिल्म बेटे को लेकर डायरेक्शन में लगाए और गदर2 की शूटिंग करते रहे.

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वह दो और फिल्में कर रहे हैं जिनमे एक अमीर खान के साथ कि फिल्म है 'लाहौर1947' , जाहिर है सनी देओल राजनीति से खुद ही अलग होना चाह रहे थे. इसलिए उनकी पार्टी बीजेपी ने उन्हें नाम मात्र के लिए भी नहीं पूछा.

जयाप्रदा :

राजनीति में जयाप्रदा को लम्बा अनुभव है. वह पहले एनटीआर/चंद्रबाबू नायडू की पार्टी में थी फिर सपा और अमर सिंह की पार्टी से जुड़ी और अब भरतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं. रामपुर (उत्तरप्रदेश) और आज़मगढ़ में उनके खिलाफ कई कोर्ट के मामले दर्ज रहे हैं. कुछ समय पहले उनके खिलाफ 'जयाप्रदा हाज़िर हो' का  सम्मन जारी हुआ था.  ऐसे में बिना राय मशवरे के बीजेपी ने जयाप्रदा का पत्ता  काट दिया है. वह  चुनाव से दूर हो गयी हैं.

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किरण खेर :

चंडीगढ़ से भारतीय जनता पार्टी की संसद सदस्या किरण खेर  लम्बे समय से अस्वस्थ हैं. उनको इलाज के लिए अमेरिका जाना पड़ता है. किरण खेर ने स्वास्थ्य कारण बताकर पहले ही पार्टी को सूचित किया था कि वह अब राजनीति में सक्रिय नहीं रहना चाहती.बीजेपी  ने उस सीट पर दूसरा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है.

पवन सिंह :

भारतीय जनता पार्टी ने  2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी की गई अपनी पहली लिस्ट में चार भोजपुरी स्टारों के नाम की घोषणा किया था. मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ पहले से सांसद थे, उन्हें अपनी सीट पर लड़ने के लिए कहा गया था.लेकिन, पवन सिंह पार्टी की टिकट पर पहली बार उम्मीदवार घोषित किए गए थे, उनको बंगाल में आसनसोल से लड़ने का आदेश हुआ था. वहां की सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा 'टीएमसी' के सांसद हैं और वे ही ममता बनर्जी की पार्टी TMC के प्रत्याशी हैं.पवन ने वहां से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दिया. उन्हें उम्मीद थी पार्टी उनको उनके गृह नगर आरा से टिकट दे देगी. पर ऐसा हुआ नहीं. पवन सिंह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं पर एनडीए  ने उन्हें कहीं अन्यत्र से भी उम्मीदवार नहीं बनाया है. आरा सीट पर आर के सिंह को टिकट दे दिया.
पवन सिंह ने कहा है वह जरूर चुनाव लड़ेंगे. चुनाव लड़ने के लिए  दृढ़ प्रतिज्ञ पवन सिंह बिहार  में काराकाट से उम्मीदवार बनने की तैयारी में हैं. लेकिन एनडीए ने यहां से भी दूसरे कंडिडेट को खड़ा कर दिया है. पवन दूसरी पोलटिकल पार्टी से लड़ना चाह रहे हैं लेकिन इंडीया गठबंधन ने भी यहां सीक संयुक्त उम्मीदवार किसी और को बना दिया है. समझा जा रहा है कि पवन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.

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