ताजा खबर : कवि कुमार विश्वास की. कुमार विश्वास आज के दौर के सबसे चर्चित मंचीय कवि हैं. वह जितना खूबसूरत लिखते हैं, मंच पर उसी खूबसूरती से कविताओं को कहते भी हैं. उनका फेमस कविता 'कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है...मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है' हर दीवाने की दिल की धड़क तेज कर देता हैं. कवि आज अपना 54वां जन्मदिन मना रहे है. कुमार विश्वास साहित्य की दुनिया के ऐसे नगीने हैं, जिन्होंने सिर्फ देश ही नहीं, दुनियाभर में हिंदी का मान बढ़ाया है.
कुमार विश्वास के जिन्दगी के बारे में
कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई. इसके बाद राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से इन्होंने 12वीं पास की. कुमार विश्वास के पिता की चाहत थे की बेटा इंजीनियर बने, लेकिन उनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था. वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में 'स्वर्ण पदक' के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की. एमए करने के बाद उन्होंने 'कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना' विषय पर पीएचडी प्राप्त की. उनके इस शोधकार्य को वर्ष 2001 में पुरस्कृत भी किया गया.
कुमार विश्वास के कवि बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. दरअसल, कुमार विश्वास के पिता को पसंद नहीं था कि बेटा कविता पाठ में जाए. एक इंटरव्यू में कुमार विश्वास ने जिक्र किया था, 'एक बार कवि सम्मेलन से रात को घर पहुंचे, तो उनके पिताजी उनसे गुस्सा हो गए. गुस्से में बोले, 'हां, इनके लिए बनाओ हलवा, ये सीमा से लड़कर जो आए हैं.' पिता की यही बात कुमार विश्वास को चुभ गई और उन्होंने उसी समय ठान लिया कि अब इसी दिशा में आगे जाना है. शुरुआती दिनों में जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों से देर से लौटते थे. तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लिया करते थे. कुमार ने बताया कि उस दौर में कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब कविता को टीवी शो के लिए लाखों रुपये मिलेंगे.
कैसे शुरू हुई प्रेम कहानी?
इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ने के बाद कुमार विश्वास ने राजस्थान के एक कॉलेज में हिंदी प्रोफेसर के रुप में अपने करियर की शुरुआत की. इसी दौरान कुमार विश्वास की मुलाकात मंजू शर्मा से हुई. असल में मंजू शर्मा भी उसी कॉलेज में लेक्चरर थीं. दोनों के बीच धीरे-धीरे दोस्ती हो गई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई.
कुमार विश्वास ने उन दिनों मंजू के लिए कविताएं लिखने की शुरुआत की. वह श्रृंगार रस से जुड़ी कविताएं लिखते थे. मंजू उनकी कविताओं से काफी प्रभावित थीं. मंजु का घर अजमेर में था, ऐसे में कुमार विश्वास उनसे मिलने के लिए अक्सर अजमेर पहुँच जाया करते थे. दोनों अक्सर आनासागर झील, बारादरी, फायसागर झील, पुष्कर घाटी और बजरंगगढ़ मंदिर जैसी जगहों पर मिला करते थे.
घर में नहीं मिली जगह
कई साल तक एक-दूसरे को डेट करने के बाद कुमार विश्वास और मंजू ने शादी करने का फैसला किया. हालांकि कुमार विश्वास जानते थे कि जाति अलग होने के चलते परिवार वाले उनके रिश्ते को मंजूरी नहीं देंगे. ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से पहले कोर्ट में और फिर मंदिर में जाकर शादी कर ली. जब घर वालों को पता चला तो दोनों परिवारों में इस शादी का विरोध हुआ. घरवालों ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया. ऐसे में कुमार विश्वास और मंजू को किराए का घर लेकर रहना पड़ा था.
विश्वास का कहना है कि उनकी जिंदगी में चार महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वह चार महिलाएं हैं- उनकी मां, जिनसे उन्होंने गाने का सलीका सीखा, दूसरी बड़ी बहन से नाम मिला. तीसरी महिला- प्रेमिका जिसने उन्हें कवि बनाया और चौथी उनकी पत्नी, जिसने उन्हें एंटरप्रिन्योर बना दिया. बता दें कि कुमार विश्वास अपनी पीढ़ी के सबसे ज्यादा संभावनाओं वाले कवि है.
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