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Pradeep Kumar Death Anniversary : भारतीय सिनेमा के सदाबहार सितारे प्रदीप कुमार,जिनकी आंखों में था राजाओं का रौब

ताजा खबर: भारतीय सिनेमा में एक दौर था जब परदे पर राजाओं की शाही अदाएं, प्रेमियों का दर्द और नायकों का संयम सिर्फ एक चेहरे से जुड़ा करता था — प्रदीप कुमार....

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Pradeep Kumar Death Anniversary
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ताजा खबर: भारतीय सिनेमा में एक दौर था जब परदे पर राजाओं की शाही अदाएं, प्रेमियों का दर्द और नायकों का संयम सिर्फ एक चेहरे से जुड़ा करता था — प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar).आज उनकी मृत्यु वर्षगांठ पर हम उस कलाकार को याद कर रहे हैं, जिसने हिंदी और बंगाली फिल्मों में अपनी गंभीरता, सौम्यता और शानदार अभिनय से लाखों दिलों में अमिट छाप छोड़ी.

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शुरुआती जीवन और फिल्मी सफर की शुरुआत

Pradeep Kumar

प्रदीप कुमार का जन्म 4 जनवरी 1925 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था. उनका असली नाम सुकुमार सरकार था.वे बचपन से ही अभिनय की दुनिया में रुचि रखते थे और रंगमंच के प्रति आकर्षित थे. किशोरावस्था में ही उन्होंने थिएटर से जुड़ना शुरू कर दिया था.उनकी पहली फिल्म 'अलकनंदा' (1947) थी, जो बंगाली सिनेमा में उनके करियर की शुरुआत बनी. इसके बाद उन्होंने कई बंगाली फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया.

हिंदी सिनेमा में प्रवेश और पहचान

Anand Math (1952)

1952 में प्रदीप कुमार ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा और फिल्म 'आनंदमठ' से बॉलीवुड में डेब्यू किया.यह फिल्म उस दौर की ऐतिहासिक फिल्मों में गिनी जाती है और इसमें उनके अभिनय ने सबको प्रभावित किया.इसके बाद उन्होंने लगातार ऐसी भूमिकाएँ निभाईं जो शाही और भावनात्मक दोनों ही रूपों में दर्शकों को लुभाती रहीं.उनकी रोमांटिक और ऐतिहासिक फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड का राजसी हीरो बना दिया.1950 और 60 के दशक में प्रदीप कुमार, भारत भूषण और अशोक कुमार जैसे अभिनेताओं के समान लोकप्रिय हो गए थे.

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सुपरहिट फिल्मों की झड़ी

pradeep kumar movies

प्रदीप कुमार ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दीं, जिनमें –

  • अनारकली (1953)

  • नौ बहार (1952)

  • ताजमहल (1963)

  • राजहठ (1956)

  • झुकी झुकी आंखें (1957)

  • चैताली (1975)
    शामिल हैं.

फिल्म “अनारकली” में उनके साथ बीना राय की जोड़ी खूब पसंद की गई.इस फिल्म के गीत “ये जिंदगी उसी की है” और “जा मैं तोसे नहीं बोलूंगी” आज भी क्लासिक माने जाते हैं.फिल्म “ताजमहल” में उन्होंने शाहजहां की भूमिका निभाई और इस किरदार ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे राजसी प्रेमी का दर्जा दिलाया.उनके अभिनय में गहराई, भावनाओं का सौंदर्य और आवाज में अपनापन था.

Pradeep kumar

अभिनय शैली और व्यक्तित्व

Pradeep Kumar

प्रदीप कुमार को पर्दे पर देखने वाले दर्शक उन्हें एक “gentleman hero” के रूप में याद करते हैं.उनकी आंखों में एक खास गंभीरता थी — जो कभी प्यार में डूबी लगती, तो कभी त्याग और दर्द को व्यक्त करती.वे अपने संवाद धीमे, मगर प्रभावशाली अंदाज में बोलते थे.उनकी आवाज में एक रेशमी ठहराव था जो हर सीन को क्लासिक बना देता था.वे ऐसे अभिनेता थे जो ग्लैमर के बजाय संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति पर विश्वास रखते थे.उनका अभिनय नाटकीय नहीं, बल्कि सजीव था — जो दर्शक को कहानी के भीतर खींच लेता था.

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नायिकाओं के साथ चर्चित जोड़ी

Madhubala & Pradeep Kumar

प्रदीप कुमार का नाम कई मशहूर अभिनेत्रियों के साथ जुड़ा —
मधुबाला, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, वैजयंतीमाला, बीना राय, और सुरैया जैसी अभिनेत्रियों के साथ उनकी जोड़ी बहुत सराही गई.

  • मधुबाला के साथ उनकी केमिस्ट्री को रोमांटिक फिल्मों की परंपरा में स्वर्णिम अध्याय कहा जाता है.

  • मीना कुमारी के साथ उनकी जोड़ी भावनात्मक और संजीदा फिल्मों की पहचान बनी.

pradeep kumar

उनके चेहरे पर एक खास शालीनता और विनम्रता थी, जिसकी वजह से वे हर नायिका के साथ परफेक्ट लगे.

करियर का दूसरा पड़ाव

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1970 के दशक में हिंदी सिनेमा में जब एक्शन और एंग्री यंग मैन का दौर शुरू हुआ, तो प्रदीप कुमार ने खुद को चरित्र भूमिकाओं की ओर मोड़ लिया. उन्होंने पिता, राजा, और सलाहकार जैसे कई मजबूत किरदार निभाए.फिल्म “जिंदगी एक जुआ”, और “आदमी सड़क का” जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को खूब सराहा गया.उन्होंने कभी अपनी गरिमा नहीं खोई और हमेशा सादगी से काम किया.

निजी जीवन और निधन

 Bina Rai and Pradeep Kumar

प्रदीप कुमार का निजी जीवन भी उतना ही सादगीपूर्ण था जितना उनका व्यक्तित्व. 27 अक्टूबर 2001 को 76 वर्ष की आयु में प्रदीप कुमार का निधन हो गया.उनके निधन से भारतीय सिनेमा ने एक ऐसे अभिनेता को खो दिया, जिसकी अदाकारी में संवेदना और शालीनता का संगम था.

यादों में प्रदीप कुमार

Pradeep Kumar

आज की पीढ़ी भले ही प्रदीप कुमार को कम जानती हो, लेकिन क्लासिक फिल्मों के प्रेमी उन्हें कभी नहीं भूल सकते.उनके अभिनय में जो सौंदर्य, संयम और संवेदनशीलता थी, वह आज के सिनेमा में दुर्लभ है.उनकी फिल्में आज भी दर्शकों को पुराने दौर की याद दिलाती हैं —वो दौर जब प्यार आंखों से बयां होता था, जब संवाद नहीं, भावनाएं कहानी कहती थीं.

गाने 

FAQ

1. प्रदीप कुमार कौन थे?

प्रदीप कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता थे, जिन्होंने 1950 से 1970 के दशक के बीच हिंदी और बंगाली सिनेमा में कई सुपरहिट फिल्में दीं. उन्हें खासकर ऐतिहासिक और रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाना जाता था.

2. प्रदीप कुमार का असली नाम क्या था?

उनका असली नाम सुकुमार सरकार (Sukumar Sarkar) था.

3. प्रदीप कुमार का जन्म कब और कहां हुआ था?

उनका जन्म 4 जनवरी 1925 को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में हुआ था.

4. प्रदीप कुमार की पहली फिल्म कौन सी थी?

उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बंगाली फिल्म ‘अलकनंदा’ (1947) से की थी.

5. प्रदीप कुमार ने हिंदी फिल्मों में कब डेब्यू किया?

उन्होंने 1952 में फिल्म ‘आनंदमठ’ के साथ हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था.

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