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श्रीरामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है जो अप्रैल-मई में आता है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. इस बार यह शुभ दिन 17 अप्रैल को है. और ये दिन सभी राम भक्तों के लिए बेहद खास है.
इसी वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या में बने राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. रामनवमी के इस पावन मौके पर मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान प्रभु श्रीराम का तिलक भगवान भास्कर करेंगे. आइये जानते हैं कैसे होगा ये चमत्कार.
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इस रामनवमी के दिन विज्ञान और भक्ति का मिश्रण देखने को मिलेगा. सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानी डा. एसके पाणिग्रही और उनकी टीम ने इस आधुनिक सिस्टम के लिए काम किया है. इस डिज़ाइन की मदद से 17 अप्रैल को ठीक 12 बजे भगवान भास्कर प्रभु श्रीराम का तिलक करेंगे. कुल पांच मिनट के लिए ये सूर्य तिलक प्रभु श्रीराम के मुखमण्डल को प्रकाशमान करता हुआ दिखाई देगा. बता दें मंदिर के निर्माण के समय हीं इस बात का निर्णय लिया गया था की प्रभु श्रीराम का तिलक सूर्य की किरणों से किया जायेगा, जिसके लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की के विज्ञानियों की एक टीम ने इसके डिज़ाइन की खास तैयारी की थी.
रामनवमी के दिन राम मंदिर की दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा तक सूर्य की किरणों को पाइप और आप्टो-मैकेनिकल सिस्टम (लेंस, मिरर, रिफ्लेक्टर आदि) से पहुंचाया जाएगा.
कैसे पहुंचेंगी सूर्य किरणे प्रभु श्रीराम का तिलक करने
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उच्च गुणवत्ता वाले चार शीशे और चार लेंस का उपयोग किया जाएगा.
दो शीशे मंदिर की दूसरी मंजिल और दो निचले तल पर लगाए जाएंगे.
दूसरी मंजिल पर लगाए गए शीशों के माध्यम से सूर्य की किरणें लेंस से टकराते हुए अष्टधातु के पाइप से गुजरेंगी.
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इसके बाद सूर्य की किरणें पाइप से होते हुए निचले तल पर लगे शीशे और लेंस से टकराकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर तिलक के रूप में पहुंचेंगी.
दूसरी मंजिल से लेकर निचले तल तक लगाए गए पाइप की लंबाई आठ से नौ मीटर तक होगी.
गर्भगृह में लगे दर्पण से टकराने के बाद किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर 75 मिमी का गोलाकार सूर्य तिलक लगाएंगी.
हर साल इसके लिए गियर मैकेनिज्म का किया जायेगा इस्तेमाल
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हर साल रामनवमी अलग अलग दिन आती है, अब ऐसे में वैज्ञानिको के लिए ये समस्या थी की हर साल प्रभु श्रीराम को सूर्य तिलक किस तरह से लगाया जाये. वैज्ञानिकों के सामने के दूसरी समस्या यह थी कि गर्भगृह का निर्माण इस तरह से नहीं किया गया है कि यहाँ तक सूर्य की किरणें पहुंचाई जा सके. ऐसे में वैज्ञानिकों इस समस्या का हल निकला.
हर साल रामनवमी पर रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों से तिलक लग सके इसके लिए गियर मैकेनिज्म का उपयोग करके शीशों की दिशा को खास तरीके से फिक्स किया गया है.
गर्भगृह तक सूर्य की किरणों को पहुँचाने के लिए दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह को पाइप और आप्टो-मैकेनिकल सिस्टम (लेंस, मिरर, रिफ्लेक्टर आदि) से जोड़ा गया है. मंदिर के तीसरे तल के निर्माण के बाद ये व्यवस्था तीसरे तल से कर दी जाएगी.
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बता दें इस प्रोजेक्ट में सीबीआरआइ रुड़की ने तिलक और पाइपिंग के डिजाइन पर काम किया है, वहीं इस प्रोजेक्ट का कंसल्टेशन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) बैंगलौर और फेब्रिकेशन आप्टिका बैंगलौर ने किया है.
यह प्रोजेक्ट न केवल एक तकनीकी चमत्कार है, बल्कि भक्तों के लिए भी एक अद्भुत अनुभव होगा.
यह रामनवमी के अवसर पर राम मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए एक विशेष आकर्षण होगा.
आयुषी सिन्हा
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