चंद्र मोहन शर्मा सीनियर फिल्म क्रिटिक
क्रिटिक रेटिंग 3 स्टार
अगर मैं चंद शब्दों में इस फिल्म के बारे में कुछ कहू तो अब करीब 55 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री के बाद अब तक करीब 100 फिल्मे कर चुके मनोज बाजपेई ने अपनी इस फिल्म में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही सलमान की वांटेड, दबंग, अजय की सिंहम, अक्षय की राउडी राठौर सहित कई सुपर स्टार्स की एक्शन फिल्मों से कुछ न कुछ मसाला भैया जी में फिट कर दिया, इस फिल्म को देखते हुए मुझे राजेश खन्ना की सुपर हिट फिल्म रोटी याद आ गई उस फिल्म में हीरो एक रोटी के लिए मर्डर करता है तो मनोज की इस फिल्म में रोटी नहीं एक परांठे के लिए हीरो के छोटे भाई को एक परांठे के लिए बड़ी बेरहमी के साथ मारा जाता है और इसके बाद बिहार के ये भैया जी दिल्ली में आकर ऐसा तांडव मचाते है जो इस फिल्म की शुरुआत से द एंड तक आप देखते जाए बस कही भी दिमाग से कुछ भी न सोचिए अगर ऐसा किया तो आप हाल से निकल जाएंगे वरना मसाला एक्शन फिल्मों के दीवानों के लिए भैया जी पैसा वसूल फिल्म तो है. मैने बरसो से अपने कुछ बिहारी दोस्तो के मुंह से अक्सर यह सुना है एक बिहारी सब पर भारी , इस फिल्म में हीरो अपने फावड़े के साथ सब पर भारी रहा है. मनोज बाजपेयी की फिल्म 'भैया जी' में दमदार एक्शन सीक्वेंस, इमोशन और रोंगटे खड़े करने वाले बेहतरीन एक्शन सीन्स हैं.
स्टोरी प्लॉट
'कहानी बिहार से स्टार्ट होती है, यहां के एक गांव में राम चरण त्रिपाठी भैया जी (मनोज बाजपेयी) अपनी मां और छोटे भाई के साथ रहते है . भैया जी का गांव ही नहीं आसपास के इलाके में भी पूरा दबदबा है. फिल्म की शुरुआत में भैया जी शरीफ इंसान है, अपनी फैमिली के अलावा वह अपने गांव वालो के लिए भी हमेशा आगे रहते हैं. लेकिन, अपने छोटे भाई की हत्या के बाद भैया जी अपने पुराने रूप में लौटते है और और भाई के हत्यारों को चुन चुन कर मारते है.
ओवर ऑल
फिल्म की कहानी कमजोर है इससे पहले भी आप ऐसी कहानियों पर बनी दर्जनों फिल्मे देख चुके हैं.vकहानी में बिहारी टच है और दिल्ली का भी टच भी है बेशक कहानी कमजोर है लेकिन दमदार एक्शन की भरमार है. मनोज बाजपेयी ने 'भैया जी' के रोल में अपने पक्का फैंस का एकबार फिर दिल जीत लिया. मनोज खुद बिहार से हैं एक मंझे हुए कलाकार है सो उन्होंने भैया जी के किरदार को जीवंत कर दिखाया है, जोया हुसैन मनोज बाजपेयी के साथ खूब जमी है जोया के एक्शन सींस अच्छे बन पड़े है , क्लाइमेक्स में तो जोया के दो एक्शन सीन मनोज के एक्शन सीन पर भारी है. सुविंदर विक्की और जतिन गोस्वामी नेगेटिव भूमिका में फिट तो विपिन शर्मा पुलिस इंस्पेक्टर के अपने किरदार में दर्शकों को गुदगुदाते हैं. अगर स्टोरी लाइन की बात करे तो फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको सीट से उठना नहीं देगा वही सेकंड हाफ के एक्शन सीन का जवाब नहीं. फिल्म का डायरेक्शन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है जो मनोज के साथ पहले फिल्म 'एक बंदा काफी है' बना चुके है अपूर्व का निर्देशन ठीकठाक है, स्टोरी को किनारा कर उन्होंने एक्शन सींस पर ज्यादा फोकस किया. मनोज तिवारी का संगीत आपको रिजनल सिनेमा से जोड़ता है. हिंदी के साथ भोजपुरी का टच गानों मे है. आइटम सॉन्ग 'चक्का जाम हो जाई'आपको झूमने पर मजबूर करता हैं. मनोज तिवारी की आवाज में दो गाने 'कौने जनम के बदला' और 'बाघ के करेजा' गाया है. 'कौने जनम के बदला' फिल्म का हिस्सा है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है.
देखे या नहीं.
अगर आप मनोज के पक्के फैन है तो आप भैया जी से जरूर मिले उनका एक्शन अवतार उनकी दबंगई और स्टाइल आपको तालियां बजाने पर मजबूर करेगी वही अगर कुछ नया या लीक से हट कर बनी फिल्मों के शौकीन है तो फिल्म आपको अपसेट कर सकती है. कलाकार, मनोज बाजपई, जोया हुसैन,विपिन शर्मा , सुविंदर विक्की जतिन गोस्वामी, मुक्ति , चेतन और अन्य, अवधि 135 मिनट, सेंसर यू ए, पीआर, शैलेश गिरी, उषा मिश्रा, राजू जी.
चंद्र मोहन शर्मा
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