रेटिंग: दो स्टार
निर्माताः परफेक्ट वल्र्ड पिक्चर्स, टी-सीरीज़ फिल्म्स, वकाओ फिल्म्स
लेखकः मुदस्सर अज़ीज़, पाओलो जेनोविस द्वारा लिखित 'परफेक्ट स्ट्रेंजर्स' पर आधारित
निर्देशक: मुदस्सर अज़ीज़
कलाकारः अक्षय कुमार, एमी विर्क, फरदीन खान, आदित्य सील, अभिनेत्री तापसी पन्नू, वाणी कपूर, प्रज्ञा जयसवाल, चित्रांगदा सिंह व अन्य
अवधिः दो घंटे 14 मिनट
पति पत्नी के बीच जब भी कोई तीसरा आता है,तो स्वाभाविक तौर पर कलह पैदा होती है. रिश्ते टूटने के कगार पर पहुँचते हैं. इस पर हजारों फिल्में व टीवी सीरियलों का निर्माण हो चुका है. अब इन्ही पुराने मुदों के साथ समलैंगिकता, बांझपन, स्पर्म आदि को पिरोते हुए लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज फिल्म ''खेल खेल में'' लेकर आए हैं,जो कि 2016 में प्रदर्शित पाओलो जेनोविस की सफलतम इटालियन कॉमेडी-ड्रामा 'परफेटी स्कोनोसियुटी' अर्थात 'परफेक्ट स्ट्रेंजर्स'' का भारतीय करण है. 'दूल्हा मिल गया', 'हैप्पी फिर भग जाएगी', 'पति पत्नी और वो' जैसी असफल फिल्मों के लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज सब्जेक्ट के साथ न्याय नही कर पाए. फिल्म की कहानी तीन शादीशुदा जोड़ो व एक अविवाहित इंसान कबीर यानी कि कुल् सात लोग हैं. मगर लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज ने केंद्र बिंदु में अक्षय कुमार के करेक्टर ऋषभ को रखने की फिराक में सब कुछ गुड़ गोबर कर डाला.
कहानीः
फिल्म की शुरुआत लंदन से होती है,जहां ऋषभ मलिक (अक्षय कुमार) एअरपोर्ट पर बड़ी सफाई से झूठ बोलकर जयपुर के लिए हवाई जहाज की टिकट पा जाते हैं. फिर पता चलता है कि झूठ को सच बताकर परोसने में महारत रखने वाले ऋषभ की दूसरी पत्नी वर्तिका (वाणी कपूर) लेखिका है. ऋषभ की पहली पत्नी का रश्मि का निधन हो चुका है. पर रश्मि से ऋषभ की एक बेटी अनाया है,जो कि 18 साल की हो चुकी है. वर्तिका व ऋषभ के बीच खराब होते रिश्तों की वजह यह है कि अनाया उसे अपनी मां मानने को तैयार नही है. ऋषभ अपनी साली की शादी में शामिल होने के लिए जयपुर आता है,जहां वर्तिका भी दिल्ली से पहुंच जाती है. इस शादी में ऋषभ मलिक शादी में उसके दोस्त हरप्रीत (एमी विर्क) और उसकी पत्नी हरप्रीत कौर उर्फ हैप्पी (तापसी पन्नू) ,समर (आदित्य सील) अपनी पत्नी नैना (प्रज्ञा जायसवाल) और कबीर (फरदीन खान) भी शामिल होने आते हैं. वर्तिका की इस शादी से उसके माता-पिता खुश नहीं हैं. जयपुर में जमावड़ा लगा हुआ है. ऋषभ मलिक की साली की शादी वरूण(गौरव नवानी) से होनी है,जो कि हर बात पर ऋषभ से ही सलाह लेता है. वह इस बात को लेकर कन्फ्यूज है कि शादी करे या न करे. शादी के समारोह में रात में यह सभी सातों लोग ऋषभ के कमरे में इकट्ठा होते हैं. शादी के दौरान रात में वर्तिका ने एक गेम खेलने का फैसला किया, जहां सभी को अपने फोन टेबल पर रखने थे और आने वाले हर संदेश को ज़ोर से पढ़ना था और हर कॉल को स्पीकर पर रखना था. पत्नियाँ खेल के लिए राजी हो जाती हैं लेकिन पति नहीं. आखि़रकार, वह हार मान लेते हैं. गेम शुरू होता है. विचार यह है यदि आपके पास कोई रहस्य नहीं है जिसे आप छिपाना चाहते हैं, तो आप खेल में भाग लेने से नहीं डरेंगे! समर की जिंदगी का राज नैना को हैरान करता है. वहीं, पति के साथ संबंधों को नॉर्मल करने की कोशिश करनें में अपना सब कुछ न्योछावर कर रही हैप्पी ने अपने पति का एक राज जानकर चुप्पी साध रखी है. कबीर की निजी जिंदगी का सच भी सामने आता है. इनमें ऋषभ का पहलू दिलचस्प है. जिसके चलते अराजकता फैल जाती है. गहरे, अंधेरे रहस्य कोठरी से बाहर आते हैं जो उनके समीकरणों को गंभीर बनाना शुरू कर देते हैं.उ स रात के बाद इन सभी दोस्तों की जिंदगी में क्या भूचाल आता है?
रिव्यूः
लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज पिछले बीस वर्षों से बॉलीवुड में सक्रिय हैं. एक फिल्म 'हैप्पी भाग जाएगी' को छोड़कर उनकी सभी फिल्में असफल रही हैं, मगर वह किस्मत के धनी है कि उनकी फिल्म में पैसा लगाने के लिए निर्माता और हर फिल्म में उनके साथ काम करने के लिए बड़े कलाकार तैयार हो जाते हैं. जबकि मुदस्सर अजीज अपनी निर्देशकीय प्रतिभा में निखार लाने की दिशा में कोई प्रयास करते नजर नही आते हैं. फिल्म में बहुत कुछ ऐसा है जो कि अजीब सा लगता है. मसलन- ऋषभ मलिक का बार बार अपनी पहली पत्नी रश्मि का नाम लेना अथवा 'गे' व 'स्पर्म' को लेकर जो कुछ दिखाया गया है,वह सब अजीब है.
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कमजोर कहानी,पटकथा व संवाद हैं. इंटरवल से पहले तो यह फिल्म काफी बोर करती है. इंटरवल के बाद कुछ घटनाक्रम अच्छे बन पड़े हैं, पर इंटरवल के बाद कई खुलासे फालतू व फिल्म की लंबाई बढ़ाने के लिए ठॅूंसे हुए लगते हैं. कुल मिलाकर यह फिल्म दर्शकों को बांधकर नहीं रखती. किरदार अति बनावटी लगते हैं. सारे घटनाक्रम बनावटी लगते हैं. इटालियन फिल्म 'परफैक्ट स्ट्रेंजर्स' का भारतीय करण करते हुए मुदस्सर ने बतौर लेखक कुछ भी नही जोड़ा. उन्होने बच्चा पैदा करने को लेकर हरप्रीत का अपनी कमी को छुपाना और हैप्पी का जबरन इलाज कराना, तरक्की के लिए समर का अपनी बॉस के साथ हमबिस्तर हो जाना, संदेह से टूटने की कगार पर पहुंचे ऋषभ और वर्तिका के रिश्ते और समलैंगिता को लेकर कबीर का समाज की सोच का डर जैसे पुराने मुद्दे शामिल किए है,जिन पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. इतना ही नहीं निर्देशक ने इन मुद्दों की गहराई में जाने की भी जरुरत नही समझी. फिल्मकार ने महिलाओं की कमजोरी का चित्रण किया है. मसलन-हैप्पी का अपनी दोस्तों से पीठ पीछे नैना और वर्तिका की बुराई करना... हरप्रीत अपनी प्रेमिका को क्यों नहीं भूला पाया है, जबकि प्रेमिका प्रेम के प्रति कम सेक्स के प्रति ज्यादा आसक्त प्रतीत होती है. समर और नैना के बीच नैना के ही पिता की कर्मचारी मालती के आने को बहुत बचकाने तरीके से पेश किया गया है. इंटरवल के बाद फिल्म में मनोरंजन की बजाय ज्ञान बघारने की कोशिश की गयी है. मसलन- ऋषभ का अपनी 18 साल की बेटी को अपने प्रेमी संग कौर्मा भंग करने के सवाल पर दिया गया लंबा चैड़ा भाषण. इसके अलावा फिल्म में जिस तरह से महिला पात्रों को शराब का सेवन करते हुए चित्रित किया गया है,वह हास्यास्पद लगता है.
एक्टिंगः
ऋषभ मलिक के किरदार में अक्षय कुमार एक बार फिर अपने पुरानी हास्य में वापस लौटे हैं. इस फिल्म में उनका अभिनय उनकी पिछली कई फिल्मों से बेहतर है. वर्तिका के करेक्टर मे वाणी कपूर केवल ग्लैमर परोसती हैं,वह अभी भी अभिनय से कोसों दूर है. एमी विर्क व फरदीन खान ने बुरी तरह से निराश किया है. अब तक के करियर में इस फिल्म में तापसी पन्नू का अभिनय कमजोर है,किरदार भी कमजोर है.
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