Remembering K.N.Singh: खलनायक भी नायक की एज-ग्रुप का होना चाहिए!
खलनायक के रूप में के. एन. सिंह का किसी जमाने में डंका बजा करता था. इसलिए खलनायक विशेषांक के लिए जब फोन पर इन्टरव्यू की इच्छा व्यक्त की तो जवाब मिला...
खलनायक के रूप में के. एन. सिंह का किसी जमाने में डंका बजा करता था. इसलिए खलनायक विशेषांक के लिए जब फोन पर इन्टरव्यू की इच्छा व्यक्त की तो जवाब मिला...
जीवन उनके लिए एक लंबा शो था, एक ऐसा शो जो 2 फरवरी को रात 8.30 बजे पर्दा गिरने तक सड़सठ साल तक चला रमेश देव के लिए एक शो के अलावा और क्या जीवन था, जिन्होंने 1955 में अपना अभिनय करियर शुरू किया
फिल्म-संगीत के करोड़ों श्रोताओं के सामने नये सिरे से ओ.पी. नैय्यर का परिचय देने की कोई आवश्यकता नहीं, नैय्यर की मस्त धुनों में जो रवानगी है, उसमें डूबने से कौन बचा होगा...
वह पारसी रंगमंच के अग्रदूतों में से एक थे जो पूरे भारत में बहुत लोकप्रिय थे। वह एक अभिनेता के रूप में बहुत लोकप्रिय थे, जो शेक्सपियर के चरित्र और उनकी कंपनी, अगुआ सुबोध थियेट्रिकल कंपनी की भूमिका निभाने में माहिर थे
मुझे ऐसा लगता है कि, धर्मेंद्र के बेटे और सनी देओल के छोटे भाई ‘बॉबी देओल’ को उनके पिता और भाई और उनकी जनरेशन के अन्य सितारों की तरह लाइमलाइट में जगह नहीं दी गई है, क्या यह उनके बहुत ही प्राइवेट पर्सन होने के कारण है,
एक नौजवान हीरो बनने के लिए बम्बई आया. पास में पैसे कम थे इसलिए क्राफर्ड मार्केट के पास किसी धर्मशाला में पांच रूपये दैनिक पर इतनी जगह मिल गई जहां कि ट्रंक रखा जा सकता था. यह और बात है कि उस टैंक पर सोने वाले से सोने के पैसे नहीं लिए जाते थे.
जिसने करीब दस साल के लम्बे संघर्ष के बाद इंडस्ट्री को एक ऐसी फिल्म दी जिसका आज भी कोई जवाब नहीं है। ये फिल्म थी बैजु बाँवरा और वो खूबसूरत, डैशिंग और लड़कियों के दिलों में जगह बनाने में माहिर कलाकार था “भारत भूषण”
कविता कृष्णमूर्ति' हिंदी फिल्मों की एक ऐसी पाश्र्व गायिका हैं जिन्हें किसी भी परिचय की जरुरत नहीं है बल्कि इनका नाम और इनके गीत ही काफी हैं इनकी पहचान बताने के लिए...
जे.ओम जी के रूप में उन्हें इंडस्ट्री में जाना जाता था, कहा जाता है कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मोहन सहगल के प्रोडक्शन हाउस के एक भाग के रूप में की थी, जहां स्वर्गीय मोहन कुमार जो बाद में भी उनसे संबंधित थे