हमारे देश मे होलिका- दहन की परंपरा सनातन काल से है. होलिका- दहन के बाद गीत गाकर अपने उमंग को कब रंगों में तरंगित किया जाना शुरू हुआ, यह शोध का विषय हो सकता है. हालांकि राम युग और कृष्ण युग मे भी होली खेलने का उल्लेख मिलता है. लेकिन, फिल्म के पर्दे पर 'होली- गीतों' के शुरुवात का समय (फिल्मी होली की उम्र) कोई सत्तर- पचहत्तर साल पुरानी ही है. पर्दे के होली - गीत हमारे जीवन के होली गीत का हिस्सा बन चुके हैं. साल 1950 में पर्दे पर आयी फिल्म 'मदर इंडिया' का होली गीत- "होली आयी रे कन्हाई..." और फिल्म 'नवरंग' का होली गीत-"अरे जा रे हट नटखट..." आज भी हमारे मानस पटल पर छाया हुआ है. सही अर्थों मैं यहीं से फिल्मी पर्दे पर होली खेलने का दृश्य हमारी सोच के पटल पर उभरता है.
साल दर साल होली के मौके पर गाए जाने वाले फिल्मी होली के गीत हमारे असली जीवन की होली का हिस्सा बन गए हैं. उनमें से कुछ गीत हैं जो सुनते ही मन में तरंगें उठने लगती हैं, ऐसे कुछ गीत हैं- 'आयी होली आयी' ( गाइड), 'आज न छोड़ेंगे बस हमजोली' (कटी पतंग), 'दिल मे होली जल रही है' (जख्मी), 'मल दे गुलाल मोहें' ( कामचोर), 'रंग बरसे भींगे चुनरवाली' (सिलसिला), 'पिया संग खेलूं होली' (फागुन), 'मेरी पहले ही तंग थी चोली' (सौतन), 'मोहे छेड़ो ना' (लमहे), 'देखो आयी होली' (मंगल पांडे), 'होली खेले रघुवीरा' (बागवान), 'अंग से अंग लगा रे सजन' (डर), 'होली के दिन दिल खिल जाते हैं' (शोले), और 'बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी तो सीधी सादी छोरी शराबी हो गई' (ये जवानी है दीवानी)... जैसे गीत होली के दिन नहीं बजें तो कल्पना कीजिए होली कितनी बेरंगी हो जाएगी?
राज कपूर की 'आरके स्टूडियो' की होली ने देश भर में होली का महत्व बढ़ाया था. स्टूडियो के बाहर सड़कें जाम हो जाती थी. आरके बंद हुआ तो अमिताभ के घर की होली, शाहरुख खान के घर की होली, यश चोपड़ा, सुभाष घई और अभिनेता चंद्र शेखर के घर पर आयोजित होने वाली होली को देखने आने वालों की भीड़ भी देखने लायक होती रही है. सितारों की होली का हुड़दंग देखने के लिए लोग देश भर से मुम्बई आया करते थे. भांग, अबीर, गुलाल और पानी से भरे टब में बीयर पीते हुए सितारों का फेंका जाना एक विहंगम पल होता रहा है. प्रिंट में छपने वाली आपकी प्रिय पत्रिका सत रंगी 'मायापुरी' का होली विशेषांक तो तमाम फिल्म स्टार और फिल्मों के शौकीन पाठक आज भी अपने संकलन में सम्भाल कर रखे हुए हैं.
आज भी तमाम टीवी शोज उसी तर्ज पर बनते हैं. विगत कई साल सिनेमा उद्योग के लिए उत्साह जनक नहीं था, लेकिन यह "होलिका" की कृपा ही है कि साल 2023-2024 में फिल्म व्यवसाय को छप्पर फाड़- कामयाबी मिली है.लगातार कई फिल्में कामयाब हुई हैं.कामयाबी का यह सिलसिला जारी है. सिनेमा घरों की रौनक सिर उठाए मचल रही है. सितारों के घरों में रौनक है. बड़े पर्दे और छोटे पर्दे की कई स्टार जोड़ियां आज टीनएज वाले पति-पत्नी हैं. कई हीरोइनें हाल के दिनों में 'कंसीव' होने की खुश खबरी देने वाली चर्चा में हैं. आम जीवन मे भी चुनावी हलचल है. लोग सनातन सोच से लबरेज हैं. अयोध्या से काशी और मथुरा- वृंदावन तक होली की हवा ने खुशनुमा सतरंगी रंग विखेरा हुआ है. जाहिर है यह हर्षो उल्लास की होली है इसमें सराबोर होने से कोई खुद को रोकना नहीं चाहेगा.
'होली खेलें रघुबीरा' के इस महीने में पवित्र रमजान का महीना भी चल रहा है. विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर पवित्र भारत की धरा पर जैसे होली-ईद-मिलन सुअवसर आया है. होली खेलिए, दिल खोल कर खेलिए, लेकिन यह भी स्मरण रहे- किसी को किसी से बैर ना हो. इस विशेषांक की सामग्री के लिए भी अपने पाठकों और फिल्मी सितारों से हम यही कहना चाहेंगे-
"बुरा न मानो होली है!" सभी को मायापुरी परिवार की होली- शुभकामना!
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