बीते लम्हें कभी ना कभी अलविदा तो कहना ही पड़ता है, लेकिन कभी कभी अलविदा कहना बहुत मुश्किल हो जाता है ’ पिछले दो दिनों के दौरान मेरे साथ जो हुआ। मेरा उस पर विश्वास करना बेहद मुश्किल है। दरअसल मैं पूर्व अभिनेत्री शशिकला के बारे में सोच रहा था, जो उन सबसे प्रभावशाली महिला में से एक थी जिनसे मैं अब तक मिला था। मैं उनके बारे में लिखना चाहता था लेकिन समय ने मुझे By Mayapuri Desk 05 Apr 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक महारथियों के साथ मैंने खेली थी होली कभी - अली पीटर जॉन नटराज स्टूडियो मेरे दूसरे घर की तरह था और जो लोग नटराज स्टूडियो पर राज करते थे, वे मेरे लिए किसी महाकाव्य के पात्र की तरह थे। यह पहला रियल स्टूडियो था जिसमे मैंने प्रवेश किया था और जो मेरे जीवन का हिस्सा बन गया था! - अली पीटर जॉन यह नटराज स्टूडियो के म By Mayapuri Desk 27 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक एक होली दिलीप कुमार और यश चोपड़ा की डोगर भट्टी के झोपड़ पट्टिओं में यह वेन्यू सेंट्रल बॉम्बे के परेल में राजकमल स्टूडियो था, जिसके मालिक डॉ.वी. शांताराम थे जिन्होंने यश चोपड़ा को उनके ऑफिस ‘यश चोपड़ा फिल्म्स’ का संचालन करने के लिए अपने स्टूडियो का एक बहुत छोटा हिस्सा दिया था, जब उन्होंने अपने बड़े भाई बी.आर.चोपड़ा से नाता तोड़ By Mayapuri Desk 26 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक स्मिता को डाॅक्टरों से सख्त नफरत हुई जब... मैं पहली बार स्मिता से फोर्जेट सड़क पर एक पुराने अपार्टमेंट में मिला था, जहां उनके पिता शिवाजी राव पाटिल का अपना घर था, भले ही वह महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मुझे दो मंजिला सीढ़ी पर चढ़नी पड़ी और मैं दिए गए पते पर पहुँचा, तो मैंने एक महिला को फर्श By Mayapuri Desk 21 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक ‘मकबूल’ और माधुरी की असामान्य प्रेम कहानी अद्भुत कृपा, सौंदर्य, चमत्कार और सच्चे प्रेम का दिव्य रहस्य यह है कि यह किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किसी के साथ भी हो सकता है और उम्र, जाति, रंग, पंथ, समुदाय या राष्ट्रीयता के किसी भी भेद के बिना। -अली पीटर जॉन मैं पहली बार सच्चे प्यार की शक्ति का By Mayapuri Desk 13 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक ऐ खुदा, जवानी इतनी रंगीन और बुढ़ापा इतना संगीन क्यों बनाया तूने? मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मैं एक दिन सत्तर का हो जाऊंगा, खासकर मेरे जीवन में मेरे साथ हुई सभी दुर्घटनाओं और सभी अंतहीन बीमारियों के बाद जिन्हें मैं अब भी बर्दाश्त कर रहा हूं और उन पर काबू पा रहा हूं। लेकिन, सच्चाई यह है कि मैं अब सत्तर साल का हो गया By Mayapuri Desk 09 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एडिटर्स पिक यह उतना ही डरावना है जितना कि रामानंद सागर द्वारा अपनी पुस्तक ‘और इंसान मर गया’ में वर्णित विभाजन के दृश्य *मैंने डॉक्टर रामानंद सागर की ‘और इंसान मर गया’ पढ़ी है और इसमें वर्णित प्रत्येक दृश्य मेरे दिमाग में अभी भी है। इन दिनों, मैं और अधिक बीमार हो रहा हूं, जो ट्राइबल को अपने गांवों में वापस जाते देख रहा हूँ। और इसने मुझे अचानक मारा है कि शहरों में अपने घर By Mayapuri Desk 05 Mar 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
ताजा खबर उनको मिलकर पहले देव मुस्कुराये और फिर फूट फूट कर रोने लगे देव आनंद जीवन से इतने भरपूर इंसान हुआ करते थे कि उन्हें मुश्किल से किसी तरह के दुख के साथ जोड़ा जा सकता था या यू कहंू कि मुश्किल से उनकी आँखों में आंसू आते होगंे। लेकिन कुछ मौकों पर वह खुद पर काबू नहीं रख पाए थे और रोएं थे और जब वह रोएं थे, तो वह वास्तव मे By Mayapuri Desk 21 Feb 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
एंटरटेनमेंट उस शाम एक लड़का अक्षय अपनी तस्वीरे हाथ में लेकर अपनी तकदीर की खोज में निकला और फिर यह गुरुवार की शाम थी और मैं नटराज स्टूडियो के अपने सामान्य दौर में था जहाँ मैंने शक्ति सामंत, एफ सी मेहरा, श्री रामानंद सागर, आत्म राम (गुरुदत्त के छोटे भाई) और प्रमोद चक्रवर्ती जैसे सभी बड़े नामों के साथ बैठकें की थीं! मैंने अपनी अधिकांश बैठकें समाप्त कर By Mayapuri Desk 16 Feb 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn